वैश्विक पोषण रिपोर्ट: सॉफ्ट ड्रिंक पीने से बौने हो रहे बच्चे, एक-तिहाई भारत में

Saturday, Dec 01, 2018 - 11:19 AM (IST)

लंदन:  दुनियाभर में बच्चों के बारे में एक चौंकाने वाला अध्ययन सामने आया है। इसके मुताबिक, दुनिया में हर10 में से 4 बच्चे रोजाना मीठा शीतल पेय पीते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि स्कूल जाने वाले 30 फीसदी बच्चों को भले रोज एक फल खाने को न मिले, मगर ऐसे 44 फीसदी बच्चे रोजाना शीतल पेय पीते हैं। रिपोर्ट में चेताया गया है कि सॉफ्ट ड्रिंक (शीतल पेय) पीने से बच्चों में मोटापा, खून और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और वे बौनेपन का शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादा मीठा पेय पीने से बच्चों में मधुमेह की भी समस्या हो सकती है।


यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में सेंटर फॉर फूड पॉलिसी के निदेशक हॉक्स के मुताबिक, इसके चलते बच्चों में बौनेपन की समस्या पैदा हो रही है। अध्ययन के मुताबिक, भारत में कुपोषण के चलते दुनिया के एक-तिहाई बच्चे बौनेपन की समस्या जूझ रहे हैं। भारत 4.66 करोड़ बौने बच्चों के साथ दुनिया में पहले नंबर पर है। उसके बाद नाइजीरिया (1.39 करोड़) और पाकिस्तान (1.7 करोड़) हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कमोबेश यही हाल कई और देशों का भी है। कुपोषण से भारत में करीब 4.6 करोड़ बच्चों की लंबाई कम रह गई, जबकि करीब 2.6 करोड़ बच्चों का वजन भी लंबाई के मुताबिक बेहद कम है। 

भारत में कुपोषण के चलते एनीमिया (खून की कमी), निम्न जन्म दर जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। मातृ-मृत्यु दर में इजाफा हो जाता है और जन्म लेने वाले बच्चे पर भी असर पड़ता है। ऐसे बच्चों का दिमागी विकास रुक जाता है। शारीरिक वृद्धि पर भी असर पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 15.08 करोड़ बच्चे बौनेपन का शिकार हैं, जबकि 5.05 करोड़ बच्चों का वजन उनकी लंबाई के मुताबिक नहीं है, यानी कम है। राहत वाली बात यह है कि एशिया में बौनेपन की समस्या में कमी आई है। यह आंकड़ा 2000 के 38 फीसदी के मुकाबले 2017 में 23 फीसदी रह गया है। 

भारत उन देशों में भी शामिल है, जहां दस लाख से अधिक बच्चे मोटापे का शिकार हैं। अन्य देशों में चीन, इंडोनेशिया, भारत, मिस्र, अमेरिका, ब्राजील और पाकिस्तान है। वयस्कों में मोटापे के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक मोटी हैं। इसके विपरीत महिलाओं के मुकाबले पुरुष मधुमेह के अधिक शिकार हैं। रिपोर्ट में जिन 141 देशों का विश्लेषण किया गया, उनमें से 88 फीसदी से ज्यादा देशों में एक से अधिक तरह का कुपोषण पाया गया। 

Tanuja

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