रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भारत घर बनवाएगा

Wednesday, Dec 20, 2017 - 06:52 PM (IST)

नई दिल्ली: म्यांमार के रखीन प्रांत से बांग्लादेश भागने के लिए मजबूर किए गए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भारत घर बनवाएगा। विदेश सचिव एस जयशंकर ने म्यांमार के दौरे में वहां के आला अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद इस आशय की सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

यहां विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रखीन प्रांत में अपने निवासीय इलाके में लौट रहे विस्थापितों के लिए भारत पूर्व निर्मित घर बनवाने के एक प्रोजैक्ट को लागू करेगा। प्रवक्ता ने अपने आधिकारिक बयान में रोहिंग्या शरणार्थियों का नाम नहीं लिया लेकिन बयान से साफ है कि ये घर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए ही बनवाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि सेना की कार्रवाई के बाद गत अगस्त महीने से रखीन प्रांत के करीब साढ़े छह लाख लोग भाग कर बांग्लादेश चले गए हैं। इन शरणार्थियों के स्वदेश लौटने के लिए म्यांमार और बांग्लादेश की सरकारों के बीच सहमति बनी है। ये शरणार्थी कुछ महीने बाद से रखीन प्रांत लौटने लगेंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि विदेश सचिव ने म्यांमार के समाज कल्याण उपमंत्री ऊ सो आंग से मुलाकात के बाद रखीन प्रांत विकास कार्यक्रम पर सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। रखीन प्रांत के विकास के लिए म्यांमार के समाज कल्याण मंत्रालय के साथ यह पहला समझौता है। प्रवक्ता ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य रखीन प्रांत में सामान्य जनजीवन बहाल करना है ताकि विस्थापित लोग लौट सकें। पहले से बने बनाए घरों को रखीन प्रांत में बनवाने से लौटने वाले विस्थापितों की आवासीय समस्या दूर हो सकेगाी। 

प्रवक्ता ने बताया कि रखीन प्रांत के लिए प्रस्तावित योजनाओं के अलावा कई अन्य निर्माणाधीन परियोजनाओं के बारे में भी विदेश सचिव ने म्यांमार के अधिकारियों से चर्चा की। इसमें सितवे बंदरगाह की देखभाल, पलेटवा-जोरिनपुई सड़क का निर्माण शामिल है। इसके अलावा भारत वहां री-टिड्डिम सड़क  परियोजना, कलेवा से यार्गी तक त्रिपक्षीय भारत-म्यांमार-थाईलैंड सड़क परियोजना, तामू कलेवा रोड पर 69 पुलों का निर्माण यामेथिन पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और अस्पताल परियोजना आदि शामिल है। जयशंकर ने म्यांमार के रक्ष बलों के कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग ह्लयांग से भी मुलाकात की और रखीन प्रांत के ताजा हालात ,सुरक्षा और अन्य मसलों पर बातचीत की।
 

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