चीन-पाकिस्तान से मुकाबले के लिए अगले 7 साल में 9 लाख करोड़ खर्च करेगा भारत

Tuesday, Sep 10, 2019 - 11:59 AM (IST)

नेशनल डेस्कः देश के सामने चीन-पाकिस्तान का गठजोड़ चुनौती बना हुआ है। इसी के मद्देनजर सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भारत अगले 5 से 7 साल के दौरान 130 अरब डॉलर (करीब 9 लाख करोड़ रुपये) खर्च करेगा।

अकेला पाकिस्तान भारत के लिए चुनौती नहीं है। लेकिन चीन लगातार तेजी से अपनी रक्षा क्षमता में विस्तार कर रहा है। करीब एक दशक से चीन अपनी सेना के आधुनिकरण में जुटा हुआ है। अमेरिका के बाद उसका रक्षा बचट सबसे ज्यादा है। इसी के चलते भारत सरकार का लक्ष्य भी अपनी वायुसेना और नौसेना को उसी की बराबरी पर लाने का है। सेना भी लंबे समय से सरकार से पर्याप्त धन आवंटन की मांग करते रहे हैं ताकि वे एक साथ दो मोर्चो (उत्तरी और पश्चिमी सीमा) पर लड़ाई के लिए तैयार हो सकें। सूत्रों की माने तो  इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर सरकार ने थलसेना, नौसेना और वायुसेना के आधुनिकीकरण में तेजी लाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। इसके तहत अगले कुछ साल में बेहद महत्वपूर्ण हथियार, मिसाइलें, युद्धक विमान, पनडुब्बियां और युद्धपोत खरीदें जाएंगे। उन्होंने बताया कि सरकार की मौजूदा प्राथमिकता थलसेना का आधुनिकीकरण है। इसमें 2,600 इंफैंट्री कांबेट व्हीकल और 1,700 फ्यूचर रेडी कांबेट व्हीकल की खरीद शामिल है।

नौसेना की संचालन क्षमता में इजाफा करने के लिए पहले ही एक योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है ताकि अगले तीन-चार साल में उसके पास 200 पोत, 500 विमान और 24 आक्रामक पनडुब्बियां हों। फिलहाल नौसेना के पास 132 पोत, 220 विमान और 15 पनडुब्बियां हैं।

इसके अलावा सरकार की प्राथमिकता वायु सेना के लिए 110 मल्टीरोल युद्धक विमानों की खरीद है। साथ ही सभी शहरों के वायुक्षेत्र को अभेद्य बनाने की भी योजना है। इसके लिए सरकार अग्नि-5 को सेना में शामिल किया जा रहा है। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किमी है। अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया समेत कुछ ही देशों के पास ऐसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। बता दें कि भारत के जखीरे में पहले से ही अग्नि-1 (मारक क्षमता 700 किमी), अग्नि-2 (मारक क्षमता 2,000 किमी), अग्नि-3 (मारक क्षमता 2,500 किमी) और अग्नि-4 (मारक क्षमता 3,500 किमी) हैं।

Ravi Pratap Singh

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