चीन तनाव के बीच भारत मजबूत कर रहा डिफेंस, 35 दिनों में किया 10 मिसाइलों का टेस्ट
punjabkesari.in Saturday, Oct 10, 2020 - 08:42 PM (IST)
नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए विवाद के बाद भारत ने अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने में अपनी ताकत झोंक दी है। भारत लगातार मिसाइल और ताकतवर हथियारों का परीक्षण कर रहा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अगले सप्ताह 800 किमी रेंज का निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल परीक्षण करने जा रहा है। थल और नौसेना में औपचारिक रूप से इसके शामिल होने से पहले अंतिम बार इसका परीक्षण किया जाएगा।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, डीआरडीओ की तरफ से पिछले 35 दिनों के अंदर यह 10वां मिसाइल परीक्षण होगा। सूत्रों का कहना है कि डीआरडीओ मेड इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देते हुए तेजी के साथ सामरिक परमाणु और पारंपरिक मिसाइलों को विकसित करने पर जुटा हैं।
हर 4 दिनों में एक मिसाइल का परीक्षण
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत एक महीने के अंदर हर चार दिनों पर एक मिसाइल का परीक्षण किया गया है। डीआरडीओ के प्रोजेक्ट से जुड़े एक मिसाइल एक्सपर्ट का कहना है कि चीन के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच डीआरडीओ को सबकी नजरों से दूर कहा गया है कि फास्ट ट्रैक के तहत मिसाइल प्रोग्राम को पूरा करें क्योंकि भारत सरकार को सीमा पर शांति के लिए चीन के तरफ से किए गए प्रतिबद्धता पर शंका है।
इन मिसाइलों का किया गया परीक्षण
- 7 सितंबर को भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नॉलोजी डेमोनस्ट्रेटर वैकिल (एसएसटीडीवी) का परीक्षण किया
- इसके परीक्षण के महज 4 सप्ताह के दौरान सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का परीक्षण किया गया
- इसके बाद परमाणु संपन्न शौर्य सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया
- DRDO ने परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी -2 का परीक्षण भी किया, जो सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जो 300 किमी की दूरी पर लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है. यह भारत की पहली स्वदेशी सतह से सतह पर रणनीतिक मिसाइल है
- 9 अक्टूबर को भारत ने पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रुद्रम-1' का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल के मिलने से भारतीय वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव
उल्लेखनीय है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इस साल 5 मई को लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय सैनिकों के साथ पहली बार टकराव किया था, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में चार स्थानों को लेकर दोनों देशों के बीच तेजी से गतिरोध पैदा हो गया। यह गतिरोध जून में खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने भी नुकसान होने की बात मानी थी, लेकिन सैनिकों की संख्या बताने से मना कर दिया।