जानिए भारत की रूपकुंड को क्यों कहा जाता है ‘कंकाल झील', वैज्ञानिकों ने बताया रहस्य
Wednesday, Aug 21, 2019 - 04:36 PM (IST)
नई दिल्ली: वैज्ञानिकों के एक अंतर्राष्ट्रीय दल का कहना है कि उत्तराखंड की रहस्यमयी रूपकुंड झील दरअसल पूर्वी भूमध्यसागर से आई एक जाति विशेष की कब्रगाह है जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र में 220 वर्ष पहले वहां आए थे। इन वैज्ञानिकों ने ‘नेचर कम्युनिकेशन्स' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा कि रूपकुंड झील में जो कंकाल मिले हैं वे आनुवंशिक रूप से अत्यधिक विशिष्ट समूह के लोगों के हैं, जो एक हजार साल के अंतराल में कम से कम दो घटनाओं में मारे गए थे। हिमालय पर समुद्र तल से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूपकुंड झील में समय समय पर बड़ी संख्या में कंकाल पाए जाने की घटनाओं ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाला।
झील के आस पास यहां-वहां बिखरे कंकालों के वजह से इसे ‘कंकाल झील' अथवा ‘रहस्यमयी झील' भी कहा जाने लगा है। उत्तर प्रदेश के बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान के नीरज राय कहते हैं,‘‘रूपकुंड झील के बारे में हमेशा यह बाते होती रही हैं कि ये लोग कौन थे, वे रूपकुंड झील में क्यों आए और उनकी मौत कैसे हुई। शोधकर्त्ताओं ने पाया कि इस स्थान की इतिहास जितनी कल्पना की गई थी उससे भी जटिल है। हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी से कुमारसामी थंगराज कहते हैं कि 72 कंकालों के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए से पता चला कि वहां कई अलग-अलग समूह मौजूद थे।
इसके अलावा इनके रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चला कि सारे कंकाल एक ही समय के नहीं हैं,जैसा कि पहले समझा जाता था। गहन अध्ययन में पता चला कि दो प्रमुख आनुवंशिक समूह एक हजार साल के अंतराल में वहां मारे गए। शोधकर्ताओं का मानना है कि सात से 10 शताब्दी के बीच भारतीय मूल के लोग अलग अलग घटनाओं में रूपकुंड में मारे गए। राय ने कहा कि अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि ये लोग रूपकुंड झील क्यों आए थे और उनकी मौत कैसे हुई।