ISRO का अगला चंद्र अभियान होगा और बड़ा, साथ जुड़ेगा जापान

Sunday, Sep 08, 2019 - 05:32 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः  चंद्रयान-2 की 95 फीसदी सफलता के साथ  पूरी दुनिया ISRO  की तारीफ हो रही है। अमेरिका से लेकर रूस और इजरायल तक ने भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और योग्यता का लोहा मान लिया है। अब जापान भी इसरो के साथ अगले चंद्र अभियान में काम करना चाहता है। 2022 में भारत की योजना स्पेस में इंसानी मिशन भेजने की है। उसके बाद 2024 में इसरो चंद्रयान-2 से भी अधिक बड़ा और बेहतर मिशन करना चाहता है, जिसके लिए जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने साथ में काम करने की मंशा जाहिर की है। इस मिशन में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से सैंपल लाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध के इस मिशन में इसरो के साथ जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) काम करेगी। इसरो ने एक बयान जारी कर कहा है कि इसरो और जाक्सा के वैज्ञानिक चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध करने के लिए एक संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम करने की संभावना पर अध्ययन कर रहे हैं। पहली बार भारत और जापान के संयुक्त मून मिशन को लेकर 2017 में सार्वजनिक तौर पर बात की गई थी। यह बातचीत मल्टी स्पेस एजेंसियों की बंगलूरू में हुई बैठक के दौरान हुई थी। अगर विक्रम लैंडर ने शनिवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लक्ष्य को हासिल कर लिया होता, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होता।

बता दें कि अभी तक जापान भी इस तरह की कोई कोशिश नहीं कर पाया है। फिर भी इसरो का यह मिशन 95 फीसदी तक सफल हुआ है और अभी भी विक्रम के साथ संपर्क की सभी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं। अगले 14 दिनों में एक बार फिर इसरो विक्रम से संपर्क करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। बताते चलें कि जहां नासा एक बार फिर से इंसान को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है, वहीं जापान और भारत का मिशन पूरी तरह से रोबोटिक होगा। यह चंद्रमा पर बेस बनाने का ग्राउंड वर्क हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैश्विक स्पेस एजेंसियों के सहयोग से हो सकता है।

चंद्रयान-2 की घोषणा साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुई थी। उस समय इसरो के साथ रूस की स्पेस एजेंसी के काम करने को लेकर करार हुआ था। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस को चंद्रयान-2 के लिए लैंडर उपलब्ध कराना था। हालांकि, कुछ वजहों से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। तब साल 2012 में इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को पूरी तरह से भारत में ही विकसित तकनीक के आधार पर करने का फैसला किया।

Tanuja

Advertising