Ranbaxy की तरह मालिकों की आपसी लड़ाई में बर्बाद न हो जाए भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन 'इंडिगो'!

Friday, Aug 09, 2019 - 04:06 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः आपने रेनबेक्सी के दो भाई मलविंदर और शिविंदर मोहन सिंह के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा। कभी 22,500 करोड़ कारोबार के मालिक रहे दोनों भाईयों के पास अब कुछ नहीं बचा है। बर्बादी से पहले इन दोनों भाईयों ने खूब नाम और शोहरत कमाई लेकिन आपस के झगड़े ने इनसे सब कुछ छीन लिया है।  यह तो थी रेनबेक्सी के दो भाइयों की कहानी। अब बात करते हैं इंडिगो एयरलाइन या कहें इंटरग्लोब एविएशन लिमिडेट के मालिक राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल की, जिनकी कहानी भी रेनबेक्सी के मालिकों से मिलती-जुलती है। कहानी में फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें दो भाई नहीं दो दोस्त हैं और यह कंपनी अभी तक डूबी नहीं है। भारत में सबसे सस्ती हवाई यात्रा की सुविधा देने वाली इंडिगो एयरलाइन की स्थापना 2005 में हुई, एक साल बाद 2006 में इसने काम भी शुरू कर दिया और सिर्फ छह साल के भीतर मार्किट शेयर के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी बन गई और फिलहाल अभी तक बनी हुई है लेकिन कंपनी में इस समय जो चल रहा है उससे ऐसा नहीं लगता कि इंडिगो ज्यादा देर तक अपनी टॉप पोजीशन कायम रख पाएगी! कारण- कंपनी के दोनों मालिक राहुल भाटिया और  राकेश गंगवाल के बीच मतभेद बढ़ता जा रहा है।

मतभेद भी इतना बढ़ गया है कि राकेश गंगवाल ने Securities and Exchange Board of India (सेबी) को चिट्ठी लिख दी जिसमें उन्होंने अपने पार्टनर राहुल भाटिया पर वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया और इंडिगो की मैनेजमेंट पर तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि पान की दुकान भी इंडिगो की मैनेजमेंट से अच्छा काम करती है। आपको बता दें कि उससे पहले राहुल भाटिया ने भी राकेश गंगवाल पर कंपनी को हाईजैक करने का आरोप लगाया था। यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे से दोस्त दोस्त न रहा तक ये दोनों पार्टनर कैसे पहुंचे उसकी पूरी कहानी थोड़ी देर में बताते हैं पहले थोड़ा बहुत इन दोनों के बारे में भी जान लेते हैं। इसके 2 मालिक हैंः

 

 

फिफ्टी-फिफ्टी दोस्ती! 
अब शुरू से शुरू करते हैं। बात 1985 की है। कैनेडा में पढ़ रहे 25 वर्षीय राहुल भाटिया पीएचडी करके टीचर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और मंज़ूर था। उनकी मुलाकात राकेश गंगवाल से शिकागो स्थित US एयरलाइन्स के हेड क्वार्टर में होती है जहां गंगवाल पिछले 10 सालों से काम कर रहे थे। इस मुलाकात के बाद से दोनों के बीच दोस्ती की शुरुआत होती है लेकिन इसी बीच दिल्ली में ट्रेवल एजेंसी का कारोबार करने वाले राहुल भाटिया के पिता कपिल भाटिया को आर्थिक  नुक्सान उठाना पड़ता है जिसके चलते राहुल भाटिया कैनेडा से दिल्ली आ जाते हैं। यहां आकर वह साल 1989 में एयर ट्रांसपोर्ट से सम्बंधित इंटरग्लोब इंटरप्राइजेज कंपनी  की स्थापना करते हैं। राहुल भाटिया की लालसा समय के साथ बढ़ती जाती है और उनकी कंपनी दूसरे सेक्टर्स में भी पैर पसारना शुरू कर देती है। अब राहुल भाटिया की नजरें एविएशन सेक्टर में थीं इसके लिए उन्होंने अपने करीबी दोस्त राकेश गंगवाल की मदद  मांगी। राकेश गंगवाल US एयरलाइन्स और उस एयरवेज ग्रुप में टॉप पोजीशन पर रह चुके थे। पहले तो राकेश गंगवाल थोड़ा झिझके लेकिन राहुल भाटिया के बार बार बिनती करने और दोस्ती की खातिर उन्हें मानना पड़ा  और इस तरह 2005 में इंडिगो एयरलाइन का जन्म होता है। इंडिगो कंपनी में दोनों दोस्तों  की हिस्सेदारी होती है फिफ्टी-फिफ्टी।

दोस्ती रंग लाई
दोनों दोस्तों के बीच काम को लेकर बंटवारा होता है- राहुल भाटिया निवेश लाने और परिचालन को चलाने के साथ साथ पोलिटिकल पार्टीज से संबंध भी बढ़ाएंगे और राकेश गंगवाल निर्माता कंपनियों से मोलभाव के लिए अपने एक्सपीरियंस का इस्तेमाल करेंगे और जहाज़ खरीदेंगे। दो दोस्तों की मेहनत रंग लाती है और शुरू होता है इंडिगो कंपनी की कामयाबी का सफर।

दोस्ती में घुली कड़वाहट
2017 तक आते आते पता नहीं इन दोनों की दोस्ती को किस की नज़र लग जाती है।  गंगवाल 2005 के शेयरधारकों के समझौते पर सवाल उठाने लगते  हैं जिसमें उन्होंने भाटिया के साथ हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में  राहुल भाटिया को राकेश गंगवाल से ज़्यादा पावर दी गई हैं। राहुल भाटिया की इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज (आईजीई) को इंडिगो में चेयरमैन, एमडी, सीईओ और प्रेसिडेंट रखने का अधिकार तो है ही उसके साथ भाटिया ग्रुप 3 स्वतंत्र डायरेक्टर भी रख सकता है। दूसरी ओर, गंगवाल का आरजी ग्रुप इंटरग्लोब एविएशन लिमिडेट में सिर्फ 1 स्वतंत्र डायरेक्टर नॉमिनेट कर सकता  है। इसके साथ साथ  बीच राकेश  गंगवाल इंडिगो और इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज के बीच हो रहे रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन (RPT) यानि संबंधित पार्टी लेनदेन पर भी सवाल उठाना शुरू कर देते हैं। 

इंजन की डील बनी मौजूदा विवाद का कारण
2016 के बाद से इंडिगो के एयरक्राफ्ट 320neo  में लगे इंजनों में दिक्कत आनी शुरू हो जाती है।  जहाज़ों में प्रैट एंड व्हिटनी (पी एंड डब्ल्यू) कंपनी के इंजन लगे हुए थे जिसके चलते कंपनी के कई जहाज़ उड़ान नहीं भर पा रहे थे। अब  इंडिगो के नए बैच के एयरक्राफ्ट एयरबस 320 और 321 में इस्तेमाल के लिए इंजन की जरुरत महसूस होती है। हमेशा की तरह राकेश गंगवाल डील के लिए निगोशिएट करते हैं लेकिन समय पर  डील पूरी न होने के कारण अनुबंध के उल्लंघन का खतरा पैदा हो जाता है। इसी बीच राहुल भाटिया जो अंतरिम CEO हैं किरण राव को इंजन डील की नेगोशिएशन के लिए कंसलटेंट नॉमिनेट करते हैं। किरण राव एयरबस इंडिया की हेड थी। यह डील दोनों की दोस्ती की कब्र पर आखिरी कील साबित होती है। अप्रैल 2018 में कंपनी राकेश गंगवाल के करीबी  ग्रेगोरी टेलर को CEO नियुक्त करती है लेकिन टेलर को किसी कारण सरकार की सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलती और दिसंबर में राहुल भाटिया के करीबी रोन्जॉय दत्ता को CEO नियुक्त कर दिया जाता है। इस साल  जून में  इंडिगो ने अमेरिका की एक कंपनी CFM इंटरनेशनल को LEAP-1A इंजन सप्लाई करने का ऑर्डर दे  दिया है। राकेश गंगवाल का आरोप है कि पूरे सौदे में भाटिया और उनकी टीम ने राकेश गंगवाल को नजरअंदाज किया है।

दोस्त ने लगाया दोस्त पर इलज़ाम
सबसे पहले बात करते है राकेश गंगवाल की उन्होंने राहुल भाटिया पर क्या इलज़ाम लगाए हैं ? राकेश का कहना है कि आज इंडिगो अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई है और कंपनी के बोर्ड में बैठे कुछ प्रभावशाली और ताक़तवर लोग आरजी ग्रुप के अभियान को समाप्त करने पर लगे हुए हैं। वहीँ राहुल भाटिया का अपनी सफाई में कहना है कि गंगवाल की नाराजगी कहीं और है उनकी जो मांगे हैं वो अनुचित हैं। वो कंपनी को हाईजैक करना चाहते हैं।

दोनों मालिकों के नाराज़गी के बावजूद इंडिगो ने इस साल पहली तिमाही में 1203 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। निश्चित रूप से, जून तिमाही के परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि मालिकों के बीच चल रहे विवाद ने कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित नहीं किया है लेकिन भविष्य का किसे पता है?
 

Manish

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