कृषि क्षेत्र में जबरदस्त बढ़त, भारत का GVA 12 सालों में तीन गुना बढ़ा
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 05:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों ने पिछले 12 सालों में बहुत अच्छी तरक्की की है। वित्त वर्ष 2012 में इस क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (GVA) जहाँ करीब 1,500 हजार करोड़ रुपये था, वह वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 4,800 हजार करोड़ रुपये से भी ज़्यादा हो गया है।
यह जानकारी भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट से मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हाल के एक साल में ही कृषि क्षेत्र में 22% की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि अभी भी भारत की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत हिस्सा है। यह देश के GDP (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 16% योगदान देती है और 46% से ज़्यादा लोगों की रोज़ी-रोटी इसी पर निर्भर है।
उत्पादन का कुल मूल्य (GVO) भी तेजी से बढ़ा है। यह 2012 में 1,900 हजार करोड़ रुपये था, जो 2024 में बढ़कर 3,000 हजार करोड़ रुपये हो गया – यानी 55% की वृद्धि।
फसलें सबसे बड़ा योगदान
कृषि उत्पादन में सबसे बड़ा हिस्सा फसलों का है, जो कुल GVO का 54% से अधिक बनाती हैं। इनमें अनाज, फल और सब्ज़ियाँ सबसे ज़्यादा शामिल हैं।
- धान और गेहूं, अनाज उत्पादन का 85% हिस्सा बनाते हैं।
- केला अब फल उत्पादन में आम से आगे निकल गया है।
- FY 2024 में केला का GVO 47 हजार करोड़ रहा, जबकि आम का 46.1 हजार करोड़।
- आलू भी एक अहम सब्जी बना हुआ है, जिसका GVO 2012 में 21.3 हजार करोड़ से बढ़कर 2024 में 37.2 हजार करोड़ हो गया।
राज्यवार योगदान
उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में सबसे आगे है और देश के कुल कृषि GVA में 17% हिस्सा देता है। इसके बाद मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा आते हैं। इन पांचों राज्यों का कुल योगदान 53% है।
पशुपालन और पुष्पकृषि की बढ़त
- पशुपालन में भी अच्छी बढ़त हुई है। इसका GVO 2012 में 488 हजार करोड़ से बढ़कर 2024 में 919 हजार करोड़ हो गया।
- दूध अब भी सबसे बड़ा उत्पाद है, जो पशुपालन में 66% योगदान देता है।
- मांस उत्पादन भी बढ़ा है और अब इसका हिस्सा 24% हो गया है।
- फूलों की खेती (पुष्पकृषि) भी तेजी से बढ़ी है। इसका GVO 2012 में 17.4 हजार करोड़ से बढ़कर 2024 में 28.1 हजार करोड़ हो गया है। यह दिखाता है कि किसान अब वाणिज्यिक बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं।
तरक्की के कारण
रिपोर्ट में वृद्धि के कारणों का साफ ज़िक्र नहीं किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रगति अच्छी बारिश (मानसून), बेहतर फसल उत्पादकता और सरकार की योजनाओं की वजह से हुई है, जिनका मकसद किसानों की आय बढ़ाना रहा है।