पाकिस्तान की 'हार' के पीछे भारत की कूटनीतिक 'जीत', ये हैं प्रमुख कारण

Monday, Jan 01, 2018 - 08:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क (नीरज शर्मा) : आखिरकार भारत की कूटनीतिक रणनीति रंग लाई है। आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई ना किए जाने से असंतुष्ट अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप सरकार पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। एेसे में पाकिस्तान को दिए जाने वाले 25 करोड़ 50 लाख डॉलर (करीब 16 अरब 27 करोड़ रुपए) की सहायता राशि पर रोक लगाने की तैयारी कर चुकी है। नई साल के पहले दिन राष्ट्रपति ट्रंप ने भी एक ट्वीट करके इसका साफ संकेत भी दे दिया है। एेसे में विशेषज्ञ इसे मोदी सरकार की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहे हैं। दरअसल, पिछले साढ़े तीन साल में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को एक के बाद एक कई बड़े झटके दिए हैं जिससे पाकिस्तान विश्व बिरादरी में एक आतंकवादी देश के तौर पर स्थापित हो गया है और अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
मोदी सरकार के प्रयासों को मिला रहा समर्थन 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते पाकिस्तान तब एक बार फिर बेनकाब हो गया जब अमेरिका ने बीते 20 जुलाई को पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया था। अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में इनको ट्रेनिंग मिलती हैं और पाकिस्तान से ही इन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग हो रही है। दरअसल भारत अंरराष्ट्रीय मंच पर लंबे समय से इसकी मांग करता आया था लेकिन अमेरिकी प्रशासन इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से भारत का पक्ष पूरी दुनिया में मजबूत हुआ है।
अमेरिका ने मान पाक बना आतंकिस्तान
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अक्सर अराजकता, हिंसा और आतंकवाद के एजेंटों को सुरक्षित पनाह देता है। पाकिस्तान में लोग आतंकवाद से पीड़ित हैं, लेकिन आज पाकिस्तान आतंकियों के लिए सेफ हैवन भी है। अगर पाकिस्तान आतंकी संगठनों का साथ देता रहा तो हम इस पर चुप नहीं बैठेंगे।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की चौरफा निंदा
अमेरिका मानता है कि जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेश आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो चेहरे हैं। लश्कर–ए-तैयबा की स्थापना हाफिज ने 1987 में की थी। 2008 में मुंबई हमलों के लिए इस संगठन को भारत और अमेरिका दोनों जिम्मेदार बताते हैं। ये बात अलग है कि सईद इन आरोपों से इनकार करता रहा है। 19 दिसंबर के जो दस्तावेज सामने आए हैं उनमें फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स(FATF) सईद के दो संगठनों का जिक्र करता है। एफएटीफ एक अंतरराष्ट्रीय समूह है जो मनी लॉन्ड्रिंग,आतंकियों को वित्तीय मदद के खिलाफ कार्रवाई करता है। एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि या तो पाकिस्तान आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे या तो निगरानी सूची में शामिल होने के लिए तैयार रहे।
हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन घोषित 
वहीं, पिछले 17 अगस्त को अमेरिका ने हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन करार दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इसे आतंकवादी हमले करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलेगा, अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इससे संबद्धता रखने पर प्रतिबंधित होगा। अमेरिका ने यह भी कहा है कि हिजबुल कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। दरअसल जम्मू कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवकों की भर्ती करता था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध के बाद उसके वित्तीय नेटवर्क को बड़ा नुकसान हुआ है।

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