सड़क हादसों में हर दिन हो रही 26 बच्चों की मौत, 2023 में हेलमेट न पहनने से गई 9,489 जानें

punjabkesari.in Saturday, Nov 16, 2024 - 12:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क. 2023 में देश में हुए सड़क हादसों में 18 साल से कम उम्र के 9,489 बच्चों की जान चली गई। इसका मतलब है कि हर दिन औसतन 26 बच्चों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई। यह आंकड़ा कुल सड़क हादसों में हुई मौतों का 5.49% है। यह आंकड़े सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आए हैं।

इन हादसों में से सबसे गंभीर बात यह है कि 2,537 बच्चों की मौत उस समय हुई, जब वे बिना लाइसेंस के वाहन चला रहे थे। यानी हर दिन करीब 7 नाबालिग चालक अपनी जान गंवा रहे थे। इसके अलावा 4,242 बच्चों की मौत सवारी करते समय हुई और 2,232 बच्चों को सड़क पर पैदल चलते हुए रौंद दिया गया। 

हेलमेट न पहनने से बढ़ी मौतें

सड़क हादसों में हेलमेट न पहनने के कारण 2023 में 54,568 लोगों की मौतें हुईं। हालांकि, बच्चों की मौतों की संख्या 2022 से थोड़ी कम रही। 2022 में 9,528 बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में यह संख्या 9,489 रही। यह गिरावट केवल 39 बच्चों की थी।

सड़क हादसों की बढ़ती संख्या

2023 में देशभर में हर घंटे औसतन 55 सड़क हादसे हुए, जिनमें 20 लोगों की जान गई। 2023 में सड़क हादसों की संख्या 4.2% और मौतों की संख्या 2.6% बढ़ी। यूपी में सबसे ज्यादा 13.7% मौतें हुईं। इसके अलावा तमिलनाडु ने लगातार छठे साल सड़क हादसों के मामले में पहले स्थान पर रही।

सड़क हादसों में कितने लोग मरे?

18-45 साल के आयु वर्ग में सबसे ज्यादा 66.4% लोग मारे गए। कुल मौतों में 35 साल से कम उम्र के लोग 50.5% थे। इसके अलावा 31.5% शहरी और 68.5% ग्रामीण लोग हादसों का शिकार हुए। पुरुषों की संख्या 85.8% और महिलाओं की संख्या 14.2% थी।

सड़क के गड्ढों से बढ़ी दुर्घटनाएं

2023 में सड़क के गड्ढों से हुई दुर्घटनाओं में 16% तक वृद्धि हुई। इन गड्ढों से 2,161 लोगों की मौत हुई, जबकि 2022 में यह संख्या 1,856 थी।

ओवरलोडेड वाहनों से भी बढ़ीं दुर्घटनाएं

ओवरलोडेड वाहनों की वजह से 27,810 हादसे हुए, जिनमें 12,154 लोगों की जान चली गई। इसके अलावा हिट एंड रन के मामलों में भी भारी वृद्धि हुई। 2023 में हिट एंड रन के 68,783 मामले सामने आए, जिनमें 31,209 लोगों की मौत हुई और 54,574 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

कहाँ हुए सबसे ज्यादा हादसे?

सर्वाधिक हादसे दिल्ली में हुए, जहां 1,457 लोगों की मौत हुई। इसके बाद बेंगलुरु (915) और जयपुर (849) का नंबर रहा।

क्या करना चाहिए?

यह आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सड़क सुरक्षा को लेकर ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। खासकर बिना लाइसेंस बच्चों को वाहन चलाने से रोकने के लिए माता-पिता को सचेत रहना चाहिए। सरकार को भी सड़कों की स्थिति सुधारने और वाहन चालकों को नियमों का पालन करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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