चीन को भारत का करारा जवाब, हम नहीं मानते LAC पर 1959 की परिभाषा

Wednesday, Sep 30, 2020 - 10:39 AM (IST)

नेशनल डेस्कः चीन ने एक बार फिर से वादाखिलाफी करते हुए अपनी कही बात से मुकरने की कोशिश की, जिसके जवाब में भारत ने भी पलटवार किया। भारत ने मंगलवार को कहा कि उसने 1959 में ‘‘एकतरफा रूप से'' परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को कभी स्वीकार नहीं किया है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं। विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई की कि पड़ोसी देश तथाकथित सीमा की ‘‘अपुष्ट एकतरफा'' व्याख्या करने से बचेगा। चीन के इस दृष्टिकोण को नई दिल्ली ने खारिज किया कि बीजिंग LAC की अवधारणा पर 1959 के अपने रुख को मानता है। पूर्वी लद्दाख में लगभग पांच महीने से चले आ रहे गतिरोध के बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग LAC की अवधारणा के बारे में 1959 के अपने रुख को मानता है। 

 

1959 की LAC की परिभाषा भारत नहीं मानता
चीन के बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मुद्दे पर मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत ने कभी भी 1959 में एकतरफा रूप से परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा को स्वीकार नहीं किया है। यही स्थिति बरकरार रही है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं। श्रीवास्तव की यह टिप्पणी तब आई जब चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि चीन 7 नवंबर 1959 को अपने तत्कालीन प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भेजे गए एक पत्र में प्रस्तावित की गई LAC को मानता है।

 

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का हवाला दिया जिनमें 1993 में LAC पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने संबंधी समझौता, 1996 में विश्वास बहाली के कदमों से संबंधित समझौता और 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए राजनीतिक मानकों तथा निर्धारक सिद्धांतों से संबंधित समझौता भी शामिल है। उन्होंने इन समझौतों का जिक्र यह बताने के लिए किया कि दोनों पक्षों ने LAC संरेखण पर पारस्परिक सहमति पर पहुंचने की प्रतिबद्धता जताई थी। श्रीवास्तव ने कहा कि इसलिए, अब चीनी पक्ष का यह कहना, कि केवल एक ही LAC है, इन समझौतों में चीन द्वारा की गईं सभी प्रतिबद्धताओं के पूरी तरह विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने LAC का हमेशा सम्मान और पालन किया है। 

 

संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया संबोधन का जिक्र करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि यह चीनी पक्ष है जिसने पश्चिमी सेक्टर के विभिन्न हिस्सों में LAC पर अतिक्रमण के अपने प्रयासों से यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि चीन ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार दोहराया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति का समाधान दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के अनुरूप किया जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि 10 सितंबर को विदेश मंत्री और उनके चीनी समकक्ष के बीच हुए समझौते में भी चीनी पक्ष ने सभी मौजूदा समझौतों का पालन करने की अपनी कटिबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष ईमानदारी से सभी समझौतों और सहमति का पूरी तरह पालन करेगा तथा एलएसी की एकतरफा अपुष्ट व्याख्या करने से बचेगा। श्रीवास्तव की टिप्पणियां ऐसे दिन आई हैं जब चीन ने केंद्रशासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के दर्जे पर सवाल उठाकर भारत को नाराज करने का काम किया है। 

 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश को चीन मान्यता नहीं देता है। हम विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य उद्देश्यों के लिए आधारभूत ढांचा विकास का विरोध करते हैं। वांग ने यह टिप्पणी तब की जब पश्चिम के एक पत्रकार ने कहा कि भारत लद्दाख क्षेत्र में चीन से लगती अपनी सीमा पर ऊंचाई वाले इलाकों में सभी मौसमों में काम करने वाली सड़कों के निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है। चीन ने जब पिछले साल लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने पर सवाल उठाया था तो भारत ने कहा था कि वह कभी दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और यही वह दूसरे देशों से भी उम्मीद करता है। कई दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों की सेनाएं LAC पर अब भी भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं। भारत ने संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों में अपने सैनिकों को सर्दियों में भी लगातार तैनात रखने के लिए व्यापक तैयारी की है।

Seema Sharma

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