ट्रंप के 25% टैरिफ के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदने का रुख दोहराया
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 04:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंध समय-समय पर तनाव में आते रहे हैं। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" कहकर आलोचना की। भारत ने इस टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन इस टैरिफ के संभावित प्रभाव की गहन समीक्षा कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने ट्रंप के बयान को ध्यान से देखा है और निर्यात पर पड़ने वाले असर की जांच कर रहा है। उन्होंने साफ कहा, "हमें कुछ नहीं कहना है।" यह बयान यह दर्शाता है कि भारत फिलहाल विवाद से बचते हुए कूटनीतिक तौर पर स्थिति को संभालना चाहता है।
रूस से तेल खरीदने पर भारत का स्थिर रुख
अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचनाओं के बीच भारत ने रूस से तेल खरीदने के अपने फैसले को दोहराया है। विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि भारत की ऊर्जा नीति वैश्विक बाजार की परिस्थितियों और उपलब्ध सर्वोत्तम विकल्पों पर आधारित है। रणधीर जायसवाल ने कहा, "अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में हम बाजार में उपलब्ध विकल्पों और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हैं।" इस बयान से साफ है कि भारत किसी भी देश पर निर्भर नहीं रहेगा और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा।
रूस से तेल खरीद पर चल रही अटकलों पर जवाब
कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि भारतीय सरकारी रिफाइनरियों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। जब इस बारे में पूछा गया तो विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है। इससे पता चलता है कि भारत की ऊर्जा रणनीति अभी भी वही बनी हुई है और वह पूरी तरह से बाजार की स्थितियों के आधार पर निर्णय लेता है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। उसे अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए सस्ते और भरोसेमंद स्रोतों की जरूरत है। रूस से तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक रहा है। वैश्विक दबावों के बावजूद भारत ने अपने निर्णय पर कायम रहना चुना है। यह रणनीति भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है।
अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों पर संभावित असर
ट्रंप के 25% टैरिफ के प्रस्ताव से भारत के निर्यात क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में पहुंच मुश्किल हो सकती है। भारत फिलहाल इन संभावित प्रभावों का विश्लेषण कर रहा है और कूटनीतिक स्तर पर इसका समाधान खोजने की कोशिश करेगा।