पीएलआई योजना ने बढ़ाया भारत का विनिर्माण निवेश और रोजगार का अवसर
punjabkesari.in Tuesday, Aug 26, 2025 - 04:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत का विनिर्माण क्षेत्र एक ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने मजबूती प्रदान की है। अप्रैल 2020 में 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू हुई यह योजना न केवल एक प्रोत्साहन तंत्र के रूप में, बल्कि भारत के विनिर्माण हिस्से को सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत तक पहुँचाने और देश को एक वैश्विक औद्योगिक महाशक्ति बनाने के लिए एक रणनीतिक हस्तक्षेप के रूप में डिज़ाइन की गई थी।
लगभग पांच वर्षों में इसके परिणाम साफ़ दिखाई देने लगे हैं। मार्च 2025 तक सरकार ने 14 रणनीतिक क्षेत्रों में 806 आवेदनों को मंजूरी दी, जिससे 1.76 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ और 12 लाख से अधिक प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह योजना केवल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा नहीं दे रही, बल्कि रोज़गार सृजन, नवाचार और विदेशी निवेश को भी बल प्रदान कर रही है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में बेहतरीन प्रगति
पीएलआई योजना की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (2019) के समर्थन से, पीएलआई ढाँचे ने भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला में मजबूती से स्थापित किया है। स्मार्टफोन और घटक निर्माताओं ने देश को अपनी प्रमुख विनिर्माण基地 के रूप में चुना है।
इस क्षेत्र में चार वर्षों में उत्पादन में 146 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में 2.13 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 5.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माण केंद्र बन चुका है, जहाँ स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात अभूतपूर्व स्तर पर है। यह विकास डिजिटल इंडिया पहल को भी गति दे रहा है, जिससे तकनीक आम जनता के लिए सुलभ और किफायती बन रही है।
ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में बढ़त
ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 67,690 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ, जिसमें से मार्च 2024 तक 14,043 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं, इस क्षेत्र ने 28,884 से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
यह प्रगति भारत की FAME (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तेज अंगीकरण और निर्माण) पहल के साथ मेल खाती है। उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी के तहत 19 श्रेणियों के वाहनों और 103 श्रेणियों के कलपुर्जों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। अगले दशक में भारत इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ मोबिलिटी के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है, जिससे ईंधन आयात पर निर्भरता घटेगी और जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति होगी।
फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र घाटे से लाभ की ओर
फार्मा उद्योग भी इस योजना के चलते उल्लेखनीय बदलाव से गुजरा है। पहले आयात पर निर्भर यह क्षेत्र अब तीन वर्षों में व्यापार घाटे से अधिशेष की ओर बढ़ गया है। वित्त वर्ष 2021-22 में 1,930 करोड़ रुपये के व्यापार घाटे से वित्त वर्ष 2024-25 में 2,280 करोड़ रुपये का अधिशेष हुआ।
पीएलआई योजना के तहत फार्मास्यूटिकल्स की बिक्री 2.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जिसमें निर्यात का योगदान 1.70 लाख करोड़ रुपये है। घरेलू मूल्यवर्धन 83.7 प्रतिशत तक पहुंचने से यह क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। यह भारत को विश्व की फार्मेसी के रूप में स्थापित कर रहा है, जो वैश्विक बाजारों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराते हुए घरेलू सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
नवीकरणीय और सौर ऊर्जा में तेजी
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी पीएलआई योजना ने महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए कार्यक्रम के तहत भारत 48 गीगावाट की एकीकृत घरेलू क्षमता का निर्माण कर रहा है। 48,120 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, जून 2025 तक इस क्षेत्र में लगभग 38,500 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हो चुके हैं।
इस पहल से सौर मॉड्यूल की आयात निर्भरता में भारी कमी आएगी, जो राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी। स्वच्छ ऊर्जा निर्माण को बढ़ावा देकर, पीएलआई योजना औद्योगिक विकास को भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और स्थिरता लक्ष्यों से जोड़ रही है।
सेमीकंडक्टर और उन्नत तकनीक में रणनीतिक सफलता
सेमीकंडक्टर क्षेत्र पीएलआई योजना की सबसे रणनीतिक सफलताओं में से एक है। 76,000 करोड़ रुपये के आवंटन के तहत भारत सेमीकंडक्टर मिशन ने छह परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में चार नई विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं।
4,600 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश से 2,034 से अधिक कुशल नौकरियों और हजारों अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है। वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण से भारत चिप आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में अग्रसर है। यह एक लचीला घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का निर्णायक कदम है।
अन्य लाभार्थी क्षेत्र
इसके अलावा, वस्त्र क्षेत्र में 10,683 करोड़ रुपये के निवेश से मानव निर्मित फाइबर का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 525 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि तकनीकी वस्त्र निर्यात 294 करोड़ रुपये रहा। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 171 स्वीकृत परियोजनाओं में 8,910 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो पीएम-एफएमई और पीएमकेएसवाई जैसी पहलों का समर्थन करता है।
श्वेत वस्तुओं (एसी और एलईडी लाइटें) में भी भारत कम मूल्य वाले असेंबली केंद्र से उच्च मूल्य वाले विनिर्माण केंद्र में बदल रहा है, जिसका लक्ष्य 2028-29 तक 75-80 प्रतिशत घरेलू मूल्यवर्धन करना है।
पीएलआई योजना से व्यापक प्रभाव
पीएलआई योजना का प्रभाव केवल निवेश और रोजगार तक सीमित नहीं है। यह औद्योगिक समूहों को मजबूत कर रही है, आपूर्तिकर्ता नेटवर्क बना रही है, और रणनीतिक केंद्रों में विदेशी निवेश आकर्षित कर रही है। गुजरात में सेमीकंडक्टर पार्क और आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में चिकित्सा उपकरण केंद्र क्षेत्र-विशिष्ट औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत कर रहे हैं। ये क्लस्टर बड़ी कंपनियों के साथ-साथ एमएसएमई को आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं के रूप में विकसित करते हुए समावेशी विकास को सुनिश्चित कर रहे हैं।
संक्षेप में, यह योजना भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अग्रणी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो असेंबली-संचालित विकास से नवाचार-संचालित विनिर्माण तक का सफर तय कर रही है।
सरकार की प्रतिबद्धता और भविष्य की राह
2025-26 के लिए सरकार ने पीएलआई योजना के बजट आवंटन को बढ़ाया है, जो इसकी निरंतर गति और प्रतिबद्धता का परिचायक है। नीति निर्माता मानते हैं कि यह ढांचा:
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात निर्भरता को शून्य करने में मदद करेगा।
कौशल विकास और औद्योगिकीकरण के माध्यम से रोजगार-प्रधान विकास को बढ़ावा देगा।
निर्यात को विस्तार देकर भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में मजबूत खिलाड़ी बनाएगा।
आत्मनिर्भर भारत और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को साकार करेगा।
पीएलआई योजना केवल एक प्रोत्साहन तंत्र नहीं, बल्कि भारत के औद्योगिक पुनर्जागरण का प्रेरक स्तंभ बन चुकी है। विनिर्माण विकास को बढ़ावा देकर, रोजगार सृजन करके, निर्यात को मजबूती देकर और आयात निर्भरता को कम करके यह योजना भारत के आर्थिक और औद्योगिक भविष्य को नया आकार दे रही है।