''एशिया की फैक्ट्री'' बन सकता है भारत, कार्तिक मुरलीधरन बोले- अफसरशाही में सुधार जरूरी

Monday, Apr 01, 2024 - 01:43 PM (IST)

नेशनल डेस्क.  चीन को दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है। लेकिन वहां के खराब माहौल, आर्थिक सुस्ती से वैश्विक कंपनियों का मोहभंग होता जा रहा है। इसी कारण वह क्षमता विस्तार के लिए भारत की तरफ रुख कर रही हैं। ऐसी ही कंपनियों में सिंगापुर की जेएलके ऑटोमेशन शामिल है। उसकी ओर से गणेश सेतुरमन नई विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए भारत आए। उन्हें कागजी कार्रवाई पूरी करने में 6 महीने लगे, जो उनकी उम्मीद से ज्यादा थे। 


जेएलके अभी 80 लोगों को रोजगार देगी, लेकिन कंपनी ने कहा कि अगर भारत का औद्योगिक वातावरण बेहतर हुआ तो धीरे-धीरे विस्तार करेगी। वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा कह चुके हैं कि भारत एशिया में मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री बनने की पूरी संभावना है लेकिन उसके पास समय कम है। करीब 3 या चार साल ही। 


इस बारे में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के कार्तिक मुरलीधरन ने कहा है कि ऐसा संभव है। भारत को शिक्षा व अफसरशाही में सुधार करना होगा। देश में शिक्षकों की कमी है। फिर भी वे भरपूर छुट्टियां लेते हैं। शिक्षकों का प्रबंधन करना होगा, ताकि कुशल कामगार निकलें। भारतीय अफसरों का औसतन 15 महीने में ट्रांसफर होता है। उनके पास किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए कम समय है। इसलिए समस्याएं हल नहीं हो पातीं। बार-बार ट्रांसफर की प्रवृत्ति रोकनी होगी।

भारत में हब बढ़ते जा रहे

•संभावनाओं वाले विनिर्माण क्षेत्र में देश चीन के मुकाबले आधे से कम लोग हैं। 

• तमिलनाडु अभी हर मिनट एक कार बना रहा है। 38,837 फैक्ट्री हैं, जिनका जीडीपी में हिस्सा 9.1% है। आउटपुट बढ़ाना होगा। 

• गुजरात सेमीकंडक्टर का केंद्र बनने जा रहा है। वहां अमेरिकी कंपनी अपना प्लांट लगाएगी। राज्य में 28479 फैक्ट्री हैं, जो जीडीपी में 8.2% योगदान देती हैं। 

• बेंगलुरु देश की इलेक्ट्रॉनिक्स राजधानी है। सबसे बड़ा आईटी हब भी है। यह देश की जीडीपी में 8.2% योगदान देती है। 

• हैदराबाद आईटी, आउटसोर्स इंडस्ट्री का केंद्र है। देश की जीडीपी में 4.8% हिस्सा है।

• गुड़गांव में 250 फॉर्च्यून 500 कंपनियां हैं। ये दूसरा बड़ा आईटी, तीसरा बड़ा फाइनेंशियल हब है। जीडीपी में 1% हिस्सा इसका है।

Parminder Kaur

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