8 साल की उम्र में बड़ा काम कर रही है भारत की ‘ग्रेटा’, अपनी इस अपील से झकझोर दी दुनिया
Friday, Dec 13, 2019 - 11:30 AM (IST)
मैड्रिड: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अपने जुनून के कारण भारतीय ‘ग्रेटा’ के नाम से मशहूर आठ साल की लिसीप्रिया कंगुजम ने वैश्विक नेताओं से धरती और उसके जैसे नन्हें बच्चों के भविष्य के लिए फौरन कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। यहां चल रहे ‘कॉप-25’ सम्मेलन में मणिपुर की नन्हीं जलवायु कार्यकर्ता ने दुनिया को अपने संकल्प की झलक पेश की और वैश्विक नेताओं से ‘जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई करने’ का अनुरोध किया।
कंगुजम जलवायु परिवर्तन पर 21 देशों में अब तक अपनी बात रख चुकी हैं। नन्हीं कंगुजम स्पेन के अखबारों में तुरंत सुर्खियों में आ गईं। यहां के अखबारों ने उसे पृथ्वी के दक्षिणी गोलाद्र्ध की ‘ग्रेटा’ (थुनबर्ग) बताया। कंगुजम को इतनी समझदारी से बोलते हुए देख कर कहीं से ऐसा नहीं लगता कि उसकी जितनी उम्र की बची इस तरह की बातें कर सकती हैं। उसके पिता केके सिंह (28) उसके साथ स्पेन आए हैं। सिंह ने बताया कि जब कंगुजम को ‘कॉप 25’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने और उसे संबोधित करने का न्योता संयुक्त राष्ट्र से मिला, तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे अपनी स्पेन की यात्रा के लिए पैसे कहां से लाएंगे।
सिंह ने कहा कि परिवार ने इसके लिए कई मंत्रियों को ईमेल कर यात्रा खर्च उठाने का अनुरोध किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि उसकी यात्रा के लिए ‘क्राउडफंडिंग’ (लोगों से चंदे के जरिए धन एकत्र करना) करने की कोशिश के बाद भुवनेश्वर से एक व्यक्ति ने मैड्रिड के लिए उनकी टिकट बनवा दी। कंगुजम ने कहा कि मेरी मां ने अपनी सोने की चेन बेच दी और आखिरकार मेरे लिए होटल भी बुक हो गया।’ इस बीच, मैड्रिड के लिए भारत से रवाना होने से एक दिन पहले 30 नवंबर को उन्हें स्पेन की सरकार से ईमेल आया कि सरकार उनके 13 दिन की यात्रा का खर्च वहन करेगी। कई मुश्किलों को पार कर आखिरकार मैड्रिड पहुंची कंगुजम दुनिया को अपनी बात सुनाने के लिए और अधिक कृतसंकल्प हो गईं।
कंगुजम ने कहा कि मैं यहां दुनिया के नेताओं को यह बताने के लिए आई हूं कि यह समय कार्रवाई करने का है क्योंकि यह वास्तविक जलवायु संकट है।’ कंगुजम ने बातचीत में कहा कि यह मेरे लिए जीवन बदलने वाला कार्यक्रम था। कार्यक्रम के दौरान मैं दुनिया के कई नेताओं और विश्व के विभिन्न देशों से आए हजारों प्रतिनिधियों से मिली। कई लोगों ने आपदा से संबंधित विभिन्न मुद्दे उठाए।’ उन्होंने कहा कि जब मैं आपदा के खतरे के चलते बच्चों को अपने माता-पिता को खोते और लोगों को बेघर होते देखती हूं तो मैं रो पड़ती हूं। कई मूल कारण जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।