भारत की जैव ईंधन कूटनीति कैसे वैश्विक शक्ति को दे रही नया रूप

punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 05:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क : दो साल पहले, 9 सितंबर 2023 को, भारत ने अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) की शुरुआत की थी। यह ऐतिहासिक कदम न केवल वैश्विक ऊर्जा सहयोग को नया आयाम दे रहा है, बल्कि भारत को जलवायु नेतृत्व में एक उभरती महाशक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है। GBA का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में G20 देशों के लिए 500 बिलियन डॉलर के आर्थिक अवसर सृजित करना है, जो विश्व की दो-तिहाई आबादी की आजीविका को बदलने और सतत विकास की नई राह प्रशस्त करने की क्षमता रखता है।

जलवायु महाशक्ति के उदय की रूपरेखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के साथ मिलकर GBA की घोषणा की थी। यह कदम वैश्विक दक्षिण के दृष्टिकोण से ऊर्जा मानदंडों को आकार देने में भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक है। पश्चिमी देशों की पारंपरिक जलवायु पहलों के विपरीत, GBA प्रौद्योगिकी साझा करने, कौशल निर्माण और ज्ञान आदान-प्रदान पर केंद्रित है, जो स्थानीय जरूरतों के अनुरूप और किफायती ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देता है।

भारत ने अपनी उन्नत जैव ईंधन तकनीक को कई अफ्रीकी देशों के साथ साझा किया है। भारत और ब्राजील मिलकर अफ्रीका में इथेनॉल संयंत्र स्थापित कर रहे हैं, जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लाभों को रेखांकित करता है। दक्षिण पूर्व एशिया में, इंडोनेशिया जैसे देश भारत के बायोमास ऊर्जा अनुभव से सीख रहे हैं। ये प्रयास GBA के वैश्विक प्रभाव को दर्शाते हैं।

नई दिल्ली में GBA सचिवालय: भारत का कूटनीतिक मील का पत्थर
नई दिल्ली में GBA सचिवालय की स्थापना भारत की आर्थिक कूटनीति में एक ऐतिहासिक कदम है। अक्टूबर 2024 में मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर ने GBA को संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 के तहत राजनयिक दर्जा प्रदान किया। यह सचिवालय भारत को वैश्विक जैव ईंधन सहयोग का केंद्र बनाता है और इसे वैश्विक दक्षिण के लिए सतत ऊर्जा परिवर्तन का प्रमुख ज्ञान केंद्र बनाता है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता से प्रेरित यह कदम भारत को बहुपक्षीय जलवायु संस्थानों के नवोन्मेषी वास्तुकार के रूप में स्थापित करता है।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग: पारंपरिक मॉडलों को चुनौती
GBA दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक शक्तिशाली उदाहरण है, जो पारंपरिक उत्तर-दक्षिण ढांचे को चुनौती देता है। यह साझा अनुभवों, तकनीकी पूरकता और पारस्परिक लाभ पर आधारित है। ब्राजील की गन्ने से इथेनॉल उत्पादन की विशेषज्ञता और उसका "फ्यूल्स ऑफ द फ्यूचर" कानून अन्य विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण है। केन्या, युगांडा, तंजानिया और मॉरीशस जैसे देश GBA के माध्यम से सिद्ध तकनीकों और रणनीतियों तक पहुंच रहे हैं। यह गठबंधन महंगी उत्तरी तकनीकों पर निर्भरता कम कर, सामर्थ्य और स्थानीय क्षमता निर्माण पर जोर देता है।

आर्थिक कूटनीति और निवेश के नए अवसर
GBA सचिवालय नीति समन्वय, तकनीकी सहायता और निवेश सुविधा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह भारत को वैश्विक जैव ईंधन मानकों और बाजार विकास को प्रभावित करने में सक्षम बनाता है। भारतीय कंपनियां जैसे ओएनजीसी विदेश और भारत पेट्रोलियम ब्राजील में जैव ऊर्जा निवेश कर रही हैं, जबकि ब्राजील की पेट्रोब्रास ने 600 मिलियन डॉलर की जैव ऊर्जा परियोजनाओं की प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश भारत-ब्राजील सहयोग की व्यावसायिक व्यवहार्यता को दर्शाता है।

वैश्विक प्रभाव: 24 देशों और 12 संगठनों का गठजोड़
दो वर्षों में GBA का विस्तार 9 संस्थापक देशों से बढ़कर 24 देशों और 12 अंतरराष्ट्रीय संगठनों तक हो गया है। कनाडा, जापान, दक्षिण अफ्रीका जैसे G20 देशों के साथ-साथ अफ्रीका, एशिया और कैरिबियन के विकासशील देश इसके सदस्य हैं। विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी जैसे संगठन तकनीकी विशेषज्ञता और वित्तपोषण प्रदान कर रहे हैं।

GBA ने तकनीकी मानकों, गुणवत्ता मानकीकरण और प्रमाणन प्रक्रियाओं में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो अंतरराष्ट्रीय जैव ईंधन व्यापार को सुगम बनाता है। सतत विमानन ईंधन (SAF) पर इसका जोर विशेष रूप से आशाजनक है। भारत और ब्राजील की संयुक्त अनुसंधान पहलें SAF उत्पादन के लिए इथेनॉल अवसंरचना का उपयोग कर रही हैं, जिससे दोनों देश प्रमुख विमानन ईंधन आपूर्तिकर्ता बन सकते हैं।

भारत की जलवायु महाशक्ति की राह
2070 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता में GBA की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत की 200 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जिसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है, इसे स्वच्छ ऊर्जा नेता बनाती है। GBA के माध्यम से जैव ईंधन नेतृत्व भारत को विमानन, नौवहन और लंबी दूरी के परिवहन जैसे क्षेत्रों में कार्बन-मुक्ति की दिशा में अग्रणी बनाता है।

जैसे-जैसे GBA अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह सदस्यता विस्तार, निवेश सुविधा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्थापना में अपनी सफलता के साथ वैश्विक दक्षिण की जलवायु पहलों की व्यवहार्यता को प्रदर्शित करता है। भारत की जैव ईंधन कूटनीति समानता, स्थिरता और साझा समृद्धि पर आधारित पर्यावरणीय सहयोग का एक सशक्त मॉडल प्रस्तुत करती है।


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Content Editor

Shubham Anand

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