पत्रकार की मौत से गुस्से में भारत, अमेरिका बोला- सिद्दीकी का निधन दुनिया के लिए बहुत बड़ी क्षति
Saturday, Jul 17, 2021 - 10:02 AM (IST)
नेशनल डेस्क: अफगानिस्तान में अफगान बलों और तालिबानी आतंकवादियों के बीच जंग को कवर करने के दौरान भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुनियाभर में गुस्सा है। अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन और सांसदों ने भी भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर शोक जताया है।वर्ष 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके सिद्दीकी रॉयटर्स समाचार एजेंसी के लिए काम करते थे। पाकिस्तान के साथ सीमा के पास स्पिन बोल्डक शहर में शुक्रवार को वह मारे गए।
अमेरिका के विदेश विभाग में प्रधान उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने पत्रकारों से कहा कि हमें यह सुनकर गहरा दुख हुआ है कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए मारे गए।’’ उन्होंने कहा कि सिद्दीकी ने अक्सर दुनिया के सबसे अधिक जरूरी और चुनौतीपूर्ण खबरों पर अपने काम से प्रशंसा पाई। वह ध्यान आकर्षित करने वाली तस्वीरें लेते थे जो भावनाओं से ओत-प्रोत होतीं और सुर्खियां बनाने वाले मानवीय चेहरे को व्यक्त करते थे। रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर उनकी शानदार रिपोर्टिंग ने उन्हें 2018 में पुलित्जर पुरस्कार दिलाया।
पोर्टर ने कहा कि सिद्दीकी का निधन न केवल रॉयटर्स और उनके मीडिया सहयोगियों के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है। अफगानिस्तान में अब तक बहुत से पत्रकार मारे जा चुके हैं। हम हिंसा को समाप्त करने का आह्वान करते हैं। अफगानिस्तान में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता न्यायसंगत और टिकाऊ शांति समझौता है। पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (38) अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक ‘बॉर्डर क्रॉसिंग’ के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए।
वहीं इससे पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा कि भारत दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा करता है। श्रृंगला ने कहा कि प्राचीन भारत में सशस्त्र संघर्ष के लिए ‘‘धर्म-आधारित मानदंड’’ और संघर्ष के दौरान ‘‘धर्म-युद्ध’’ में नागरिकों की रक्षा करने वाले नियम थे। नागरिकों पर हमले नहीं किए जाते थे बल्कि उनकी रक्षा की जाती थी।