फ्रांस और भारत के बीच राफेल डील पर मुहर, 2019 तक मिल जाएंगे 36 विमान

Friday, Sep 23, 2016 - 12:51 PM (IST)

नई दिल्ली: सरकार ने फ्रांस के साथ 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के बहु-प्रतीक्षित सौदे को मंजूरी प्रदान कर दी है जिस पर आज फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां जीन यीव्स ली ड्रियान की उपस्थिति में हस्ताक्षर हो गए। आज फ्रास और भारत के बीच राफेल डील पर मुहर लग गई है। बता दें कि फ्रांस से भारत अरबों रुपए के खर्च से 36 राफेल विमान खरीद रहा है। चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत ये विमान खरीद रहा है लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का सामना करने के लिए भारत को इससे ज्यादा करना होगा। सौदे पर साइन होने के 36 महीने के अंदर यानी 2019 में विमान आना शुरू होगा। यानी एयरफोर्स को राफेल विमानों के लिए तीन साल तक इंतजार करना पड़ेगा।

पीएम ने की थी विमान खरीदने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग डेढ़ साल पहले अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की थी। इस दौरान दोनों देशों ने गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के लिए समझौता भी किया था। राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी बनाती है।

इसलिए खरीदे जा रहे हैं ये विमान?
भारत अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहता है इसलिए राफेल विमान खरीदे जा रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें, तो इस सौदे से एयरफोर्स और मजबूत होगा। एयरफोर्स के पास 1970 और 1980 के पुराने पीढ़ी के विमान हैं। बीते 25-30 सालों के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत राफेल के रूप में ऐसी टेक्नोलॉजी खरीद रहा है।

ये है राफेल की खासियत?
राफेल का इस्तेमाल फिलहाल सीरिया और इराक में बम गिराने के लिए किया जा रहा है। राफेल 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है, इसकी मदद से एयरफोर्स भारत में रहकर ही पाक और चीन में हमला कर सकती है। राफेल में हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलें होंगी। राफेल के सौदे पर अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं। काफी मोलभाव के बाद फ्रांस इसे 7.9 बिलियन यूरो में देने में राजी हुआ है। अगर भारतीय रुपए में बात करें तो करीब 59 हजार करोड़ में आएगा। एक राफेल की कीमत हथियार के सहित करीब 1600 करोड़ रुपए की पड़ेगी।

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