14,000 फुट पर भिड़ गई थी भारत-चीन की सेना, दुनिया के लिए खास था ये युद्द

Saturday, Jul 15, 2017 - 03:53 PM (IST)

बीजिंगः किसी भी देश को ताकतवर बनाने के पीछे उसकी स्पैशल सैन्य बल का हाथ होता है जिसके दम पर हर देश दुनिया के सामने एक नई शक्ति के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। 1962 में हुआ भारत-चीन युद्ध पूरी दुनिया में हुए युद्धों से बेहद अलग था। इस युद्ध की ऐसी खासियतें थीं, जो पहले कभी नहीं देखीं गईं। यही नहीं इस युद्ध ने पूरे भारत को बदल दिया था और उसके इतिहास की दिशा को मोड़ दिया था।

भारत-चीन का ये युद्ध पूरी दुनिया के लिए रोचक बन गयाथा । इसकी वजह थी भारत और चीन के बीच पैदा हुआ सीमा विवाद। जिसमें दोनों ही देश अपने पक्ष पर अड़े हुए थ। हालांकि ऐसा नहीं है कि सीमा विवाद को लेकर दुनिया में युद्ध नहीं हुए, लेकिन यह युद्ध पूरे संयम, और हर तरह के कूटनीतिक प्रयासों की असफलता के बाद शुरू हुआ।

 

 

खास बात यह थी कि चीन की ओर से संयम के छूट जाने के कारण हुआ, वरना नहीं होता। इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि यह बेहद कठोर परिस्थितियों में लड़ा गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फुट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गई।
अब चूंकि ज्यादातर लड़ाई ऊंचाई वाली जगह पर हुई थी।

एक ओर जहां अक्साई चीन क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साल्ट फ्लैट का एक विशाल रेगिस्तान था तो वहीं दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र के रूप में मौजूद था, जिसकी कई चोटियां 7000 मीटर से अधिक ऊंची है।सैन्य सिद्धांत के मुताबिक आम तौर पर एक हमलावर को सफल होने के लिए पैदल सैनिकों के 3:1 के अनुपात की संख्यात्मक श्रेष्ठता की आवश्यकता होती है।

पहाड़ी युद्ध में यह अनुपात काफी ज्यादा होना चाहिए क्योंकि इलाके की भौगोलिक रचना दूसरे पक्ष को बचाव में मदद करती है। यानी की स्थितियां काफी भिन्न् थीं।इधर, चीन इलाके का लाभ उठाने में सक्षम था और चीनी सेना का उच्चतम चोटी क्षेत्रों पर कब्जा था। दोनों पक्षों को ऊंचाई और ठंड की स्थिति से सैन्य और अन्य लोजिस्टिक कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और दोनों के कई सैनिक जमा देने वाली ठण्ड से मर गए।

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