India China Patrolling Agreement: खत्म हुआ सीमा विवाद, पीछे हटेगी चीनी सेना, ड्रैगन ने ‘पेट्रोलिंग समझौते’ को दिखाई हरी झंडी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 22, 2024 - 02:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत और चीन के बीच एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर 2020 से जारी गतिरोध अब खत्म हो गया है। चीन ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए साझा सहमति बन गई है। इस समझौते के तहत, पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाएं अपनी पुरानी जगहों पर लौटेंगी। आपको बता दें कि चीन ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी कि एलएसी पर सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच साझा सहमति बन गई है। इससे पूर्वी लद्दाख में अब दोनों सेनाएं अपनी पुरानी स्थिति पर लौटेंगी। भारतीय विदेश सचिव ने भी सोमवार को इसी बात की घोषणा की थी।

भारत-चीन रिश्तों में नरमी
दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रही तनाव की स्थिति में सोमवार को नरमी देखी गई। विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स को लेकर एक समझौता हुआ है, जिसके तहत भारतीय सेना फिर से इन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग कर सकेगी। शी जिनपिंग, जो ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने वाले हैं, इसमें कई बड़ी बैठकों में भाग लेंगे, जिसमें ब्रिक्स प्लस डायलॉग भी शामिल है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समिट में भारत और चीन के नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने की उम्मीद है।

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रिश्तों में सुधार की संभावना
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन अब इस फैसले से यह समस्या खत्म होती दिखाई दे रही है। यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2020 में गलवान में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन के रिश्तों में तल्खी बढ़ गई थी। हालांकि, यह एग्रीमेंट दोनों देशों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग के बीच पिछली बार 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स की बैठक के दौरान बातचीत हुई थी। इस बीच, जियोपॉलिटिक्स में कई बदलाव आए हैं, और चीन के पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते भी अब पहले जैसे नहीं रहे हैं, जिससे उसे बैकफुट पर देखा जा रहा है।

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क्या हुआ था साल 2020 में...
आपको बता दें कि  साल 2020 में 15-16 जून की रात, भारतीय और चीनी सेना के बीच गलवान घाटी में एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर एक गंभीर हिंसक झड़प हुई। यह घटना दोनों देशों के बीच कई वर्षों में सबसे गंभीर मानी जाती है। इस झड़प में भारत की तरफ से एक कमांडर समेत 20 सैनिक शहीद हुए। यह भारतीय सेना के लिए एक बड़ा झटका था, जिससे पूरे देश में शोक का माहौल छा गया।वहीं चीन की तरफ से इस झड़प में कितने सैनिक मारे गए, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। बाद में, चीन ने कहा कि उसके 4 सैनिक इस संघर्ष में मारे गए थे। यह घटना चार दशकों में पहली बार थी जब दोनों देशों की सेनाएं इस तरह आमने-सामने आई थीं। इससे भारत-चीन के रिश्तों में खटास बढ़ गई और तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। गलवान घाटी की यह झड़प न केवल सैन्य दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रही। इसके बाद दोनों देशों के बीच बातचीत और विवाद के नए दौर की शुरुआत हुई, जिसने क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित किया।

 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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