लद्दाख मुद्दे पर भारत के आगे झुका चीन, जानें क्यों सेना हटाने को हुआ मजबूर ?
Thursday, Jun 04, 2020 - 04:34 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः विवाद को लेकर भारत को घेरने की चीन की चाल खुद उश पर ही भारी पड़ गई है। अब हालात यह हो गए है कि चीन को आखिर भारत के समक्ष घुटने टेकने को मजबूर हो गया। दरअसल लद्दाख में भारतीय इलाकों पर कब्जा करने की साजिश में लगे चीन को अब अपने कदम पीछे हटाने पड़े हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हजारों सैनिकों की तैनाती के बाद अपने मंसूबों में कामयाबी नहीं मिलने के बाद चीनी ड्रैगन करीब दो किलोमीटर पीछे हट गया है। यही नहीं अब तक आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली चीनी सेना तीन-चार दिनों से शांत है।
चीन के कदम वापस खींचने के पीछे 3 प्रमुख वजह
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा चीन के अपने कदम वापस खींचने के पीछे 3 प्रमुख वजह बताई हैं। उन्होंने कहा कि पहली वजह भारतीय सेना की जोरदार जवाबी तैयारी। लद्दाख में 5 मई को और फिर सिक्किम में चार दिन बाद 9 मई को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। सिक्किम का विवाद तो नहीं बढ़ा, लेकिन लद्दाख में गलवान और प्योंगयांग शो लेक के पास LAC पर चीन ने आक्रमकता दिखाई और दबाव की रणनीति के तहत अपने सैनिक बढ़ाने शुरू कर दिए। बताया जा रहा है कि चीन ने LAC पर 5 हजार सैनिक भेजे हैं। उन्होंने कहा कि चीन की नापाक हरकत के जवाब में भारत ने भी LAC पर अपने सैनिक बढ़ा दिए और चीन की बराबरी में हथियार, टैंक और युद्धक वाहनों को भी इलाके में तैनात कर दिया। इस तैयारी के बाद भी भारत ने संयम के साथ बातचीत का रास्ता भी नहीं छोड़ा है।
गतिरोध को खत्म करने के लिए 6 जून को दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की बातचीत होने जा रही है। बता दें कि इस विवाद की शुरुआत के बाद अब तक तक 10 दौर की बातचीत हो चुकी है। आगा ने कहा कि दूसरी वजह भारत का सख्त रवैया। चीन के साथ अगर कोई देश नरमी से पेश आता है तो वह अकड़ जाता है और सख्त रवैया अपनाने पर पीछे हट जाता है। इस बार भी यही हुआ और भारत के सख्त रवेये कारण उसे अपने कदम पीछे हटाने पड़े।उन्होंने कहा कि चीन की गीदड़ भभकी देने की पुरानी आदत रही है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है। चीन जो भारत के साथ कर रहा है, वही वह जापान, ताइवान और वियतनाम जैसे अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी कर रहा है। कमर आगा के मुताबिक चीन के पीछे हटने की तीसरी वजह उसका आंतरिक संकट है।
कोरोना वायरस संकट की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था भीषण मंदी के दौर से गुजर रही है। दुनिया की फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन से निर्यात कम हो गया है, इससे वहां नागरिकों में बेरोजगारी और असंतोष बढ़ रहा है। इसे दबाने के लिए चीनी नेतृत्व राष्ट्रवाद का कार्ड खेल रहा है। अमेरिका की वजह से वह ताइवान और साउथ चाइना सी में कुछ कर नहीं पा रहा है तो उसने भारत के खिलाफ दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सपने को पूरा करने के लिए चीन ने अरबों डॉलर खर्च करके बेल्ट एंड रोड परियोजना शुरू की लेकिन उससे उसे कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। इससे चीन पर आंतरिक स्तर पर दबाव बढ़ता जा रहा है।