ऑफ द रिकॉर्डः वैक्सीन के लिए भारत ने खोज तेज की

Friday, Aug 21, 2020 - 05:52 AM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कोविड-19 के वैक्सीन के लिए एक स्पष्ट आह्वान करने  के  बाद, नौकरशाह अलर्ट हो गए हैं। डा. वी.के. पॉल की अगुवाई में प्रधानमंत्री का अपना कार्य बल एक्शन में आ गया और वैक्सीन की खरीद के लिए स्काऊटिंग शुरू कर दी। हालांकि इस वर्ष मार्च के प्रारंभ में वैक्सीन पर टास्क फोर्स का निर्माण किया गया था, लेकिन इसने वस्तुत: कोई प्रगति नहीं की। 

यद्यपि भारत अग्रणी दवा कंपनियों के लिए वैक्सीन का उत्पादन करने का वैश्विक केंद्र है, लेकिन उनसे बात करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। भारत में 7 अग्रणी वैक्सीन निर्माता हैं, जो प्रति वर्ष 3 बिलियन खुराक का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं।  कोरोना महामारी ने विश्व की 20 प्रतिशत आबादी को प्रभावित किया और न्यूनतम 5 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की जरूरत हो सकती है। इसके लिए विश्व स्तर पर भारी मांग है। 

वैश्विक दवा कंपनियों ने जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के बदले संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जापान और स्विट्जरलैंड जैसे देशों से कम से कम 5 बिलियन डॉलर प्राप्त कर लिए हैं। इन कंपनियों ने अपना दाव खेला है। अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि क्या वैक्सीन सफल होंगे या नहींं, क्योंकि इनमें से अधिकांश चरण-1, चरण- 2 और चरण- 3 परीक्षण में हैं। वहीं दवा निर्माण में लगी 140 वैक्सीन कंपनियों में से केवल 7-8 ही मानव परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। खुशी की बात यह है कि भारत की 4 वैक्सीन इसमें शामिल हैं।

वे कोवैक्सीन (भारत बायोटैक- आई.सी.एम.आर.), जायडस सी.वी. (जायडस कैडिला),  कोविड शील्ड (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-सीरम इंस्टीच्यूट, पुणे) और एक जॉनसन एंड जॉनसन के साथ हैदराबाद के ई-जैविक द्वारा निर्मित की जा रही हैं। वहीं सिनोवैक बायोटैक और रूस के स्पूतनिक-5 ने अभी तक परीक्षण और उत्पादन के लिए भारत से संपर्क नहीं किया है। स्पूतनिक-5 ने चरण- 2 परीक्षण पूरा कर लिया है, लेकिन भारत सरकार ने वैक्सीन खरीद व निर्माण के लिए निर्माताओं और वैश्विक दवा कंपनियों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने पर पैसा अभी खर्च करना है। 

दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अधिकारी एक के बाद एक बैठक कर रहे हैं। कुछ अग्रणी वैक्सीन कंपनियों ने भी सरकार से पूछा है कि वह अपनी जरूरतों की जानकारी दे, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर निर्माण करने में मदद मिले। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने शोध के लिए सहयोग किया और भारत बायोटैक के साथ कोवैक्सीन का उत्पादन किया जिसके लिए चरण-2 परीक्षण चल रहे हैं, लेकिन इसके लिए शायद ही कोई बड़ी फंडिंग दी गई हो।

Pardeep

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