ऑफ द रिकॉर्डः कोरोना महामारी को देखते हुए संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर पशोपेश

Friday, Nov 06, 2020 - 05:05 AM (IST)

नई दिल्लीः देश में कोविड महामारी के हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह सोचना शुरू कर दिया है कि नवम्बर-दिसम्बर में संसद का शीतकालीन सत्र बुलाया जाए या नहीं। सितम्बर में हुए संसद के मानसून सत्र में कई केंद्रीय मंत्रियों व राज्यसभा के अध्यक्ष एम. वैंकेया नायडू सहित कम से कम 45 संसद सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए थे। 

कोरोना वायरस के कारण एक केंद्रीय मंत्री तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं। वैसे देखा जाए तो सरकार संवैधानिक व कानूनी दृष्टि से शीतकालीन सत्र बुलाने के लिए बाध्य नहीं है। मानसून सत्र 28 सितम्बर को ही संपन्न हुआ था। प्रावधान के अनुसार,दोनों सत्रों में 6 महीने से अधिक का अंतराल नहीं पडऩा चाहिए। सरकार अगला सत्र अब मार्च में बुला सकती है। परंतु एक बात है कि सरकार के लिए बजट सत्र अगले वर्ष 30 जनवरी को बुलाना अनिवार्य है। 

चूंकि कोरोना महामारी अभी भी कहर बरपा कर रही है, सरकार सांसदों का जीवन खतरे में नहीं डालना चाहती। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सत्र को लेकर आगे कैसे बढ़ा जाए, सरकार दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों राज्यसभा के अध्यक्ष वैंकेया नायडू तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत मुख्य विपक्षी पार्टी व अन्य से बातचीत करने पर विचार कर रही है। 

पता चला है कि बड़ी संख्या में सांसदों ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया है कि सत्र बुलाकर उनका जीवन खतरे में न डाला जाए। सांसदों ने मांग की है कि इस सत्र में वीडियो कांफ्रैंसिंग का इस्तेमाल किया जाए। संसदीय मामलों के मंत्रालय की प्रैजैंटेशन के बाद संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति इस विषय पर फैसला करेगी।        

Pardeep

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