इन 5 आधारों पर CJI के खिलाफ लाया गया महाभियोग

Friday, Apr 20, 2018 - 03:54 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने आज प्रधान न्यायाधीश पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया और कहा कि ‘संविधान और न्यायपालिका की रक्षा’ के लिए उनको ‘भारी मन से’ यह कदम उठाना पड़ा है। महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं। प्रस्ताव का जो नोटिस आज राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को दिया है उसमें इसके लिए पांच आधार दिए गए हैं।

महाभियोग लाने के 5 आधार

  • पहला कारण प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट से संबंधित है। इस मामले में संबंधित व्यक्तियों को गैरकानूनी लाभ दिया गया। इस मामले को प्रधान न्यायाधीश ने जिस तरह से देखा उसे लेकर सवाल है।
     
  • दूसरा आरोप उस रिट याचिका को प्रधान न्यायाधीश द्वारा देखे जाने के प्रशासनिक और न्यायिक पहलू के संदर्भ में है जो प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मामले में जांच की मांग करते हुए दायर की गई थी।
       
  • तीसरा आरोप यह परंपरा रही है कि जब प्रधान न्यायाधीश संविधान पीठ में होते हैं तो किसी मामले को शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश के पास भेजा जाता है। इस मामले में ऐसा नहीं करने दिया गया।  
     
  • चौथा आरोप चीफ जस्टिस ने गलत हलफनामा देकर जमीन हासिल की। न्यायमूर्ति मिश्रा ने वकील रहते हुए गलत हलफनामा देकर जमीन ली और 2012 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने के बाद उन्होंने जमीन वापस की, जबकि उक्त जमीन का आवंटन वर्ष 1985 में ही रद्द कर दिया गया था।
     
  • पांचवा आरोप है कि प्रधान न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मामलों को विभिन्न पीठ को आवंटित करने में अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया।

Seema Sharma

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