नोटबंदी के 30 दिन, ट्राइसिटी के लोग बिन पैसा परेशान

Thursday, Dec 08, 2016 - 03:56 PM (IST)

चंडीगढ़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बस पचास दिन की तकलीफ़ है। पीएम मोदी के  500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बैन करने के फैसले को आज पूरा एक महीना हो गया है। लेकिन इसके बावजूद भी आम जनता को अभी भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते लोगों को पैसे निकालने के लिए घंटों लाइन में लगे रहना पड़ रहा है। 

जबकि दूसरी तरफ  8 नवंबर के बाद आरबीआई ने फाइनैंशनल सिस्टम में 1,900 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट डाले देने की बात कही है। वही इस ही बीच रद्द किए जा चुके 500 और 1000 रुपये के 11.5 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंक में जमा हो चुके है। लेकिन नोटबंदी के फैसले के बाद से ट्राइसिटी में अभी भी लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बैंको की लम्बी कतारें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। 

1. रोज़ लगती है लाइन और फिर Cash Out :
बैंकों में रोज़ लोग कतारों में सुबह ही खड़े हो जाते हैं। लेकिन 3 से 4 घन्टे में बैंक में कैश आउट हो जाता है। बैंकों में पैसे निकलवाने आए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है या फिर कम पैसे मिलते हैं। ये हालात सिर्फ बैंक लाइन की ही नहीं नहीं बल्कि एटीएम की लाइन में भी यही देखने को मिलता है। 

2. पोस्ट ऑफिसों में भी कैश की कमी :
नोटबंदी के फैसले के बाद यह घोषणा की गई थी कि बैकों के साथ - साथ नई कैरेंसी की सुविधा आपके पोस्ट ऑफिसों में भी उपल्बध होगी लेकिन यह तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है।  जितने कैश की जरूरत इस वक्त पोस्ट ऑफिस को पड रही है। उसका सिर्फ 30- 35 प्रतिशत ही उन्हें मिल पा रहा है। 

3. डिजिटल-वॉलिट्स को भी ज्यादा फायदा नही :
मोदी सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढावा देने की बात कही थी उन्होंने लोगों से किसी भी पेमेंट को ई पेमेंट के जरिए देने की बात कही थी। लेकिन कही न कही मोदी सरकार का यह नुसका कामजोर होता नजर आ रहा है। क्योंकि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट से जुड़ी कंपनियों को अभी तक ज्यादा फायदा नहीं हुआ है।

4. कैशलेस सिटी का दावा भी हो रहा है फेल :
प्रशासन ने चंडीगढ़ को कैशलेस सिटी बनाने का दावा किया था। लेकिन ये दावे भी कहीं न कहीं फिस्स होते नज़र आ रहे है। पहले सेक्टर 17 को कैशलेस बनाया जाना था लेकिन उसके बाद सेक्टर 26 के ग्रेन मार्किट को कैशलेस बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन व्यपारियों का सहयोग न मिलने की वजह से कैशलेस सिटी के दावे ढेर हो रहे हैं।

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