तवी में अवैध रूप से पकड़ी जा रही हैं मछलियां, प्रशासन लापरवाह

Monday, Sep 18, 2017 - 12:51 PM (IST)

जम्मू : जम्मू की लाइफ लाइन कहे जाने वाली तवी नदी से स्टेट फिश का दर्जा प्राप्त माहशीर प्रजाति की छोटी मछलियों की हर दिन कत्लेआम होता है। माहशीर प्रजाति के शिकार पर पूर्णता: प्रतिबंध है। इसके बावजूद संरक्षित प्रजाति की छोटी-छोटी मछलियां बाजार के सडकों पर बिक रही हैं। संरक्षित मछलियों के कत्लेआम करने वाले और कोई नहीं, लाइसैंस धारक लोग है जो चंद रुपयों की खातिर नियमों का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं। 

कौन है जिम्मेदार 
तवी नदी में माहशीर, मली, किंगग्ड, मूरी, सोल, गरोज और छाल प्रजातियों की मछलियां पाई जाती हैं। माहशीर को स्टेट फिश का दर्जा प्राप्त है और इस प्रजाति का संरक्षण किया जा रहा है। माहशीर के संरक्षण के लिए बाकायदा एक प्रोजैक्ट बनाया गया है और केंद्र सरकार ने नियमित रूप से फंड भी जारी करती है। मछली के संरक्षण के लिए रियासी में हैचरी भी लगाई गई है। विश्वविद्यालय प्रोजैक्ट की प्रमुख प्रमुख एजैंसी है। तवी नदी में छाल प्रजाति की मछली लुप्तप्राय घोषित की गई है। बहुतयात मात्रा में शिकार के कारण छाल विलुप्त होने की कगार पर है। हिमालय से निकलने वाली तवी नदी पाकिस्तान की तरफ बहती है। तवी नदी में आम जीविका के लिए लोगों को मछली मारने के लिए बाकायदा लाइसैंस जारी किए गए हैं। लाइसैंस प्राप्त करने वाले लोगों को विभाग ने छोटी मछलियों को न पकडऩे की सख्त हिदायत दी गई है। हो यह रहा है कि लाइसैंस धारक बड़ी मछलियां पकडऩे के बजाये छोटी मछलियां ही पकड़ कर इन्हें बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं और यह सिलसिला पिछले 20 सालों से अधिक समय से जारी है।

उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों से बड़ी संख्या में आए श्रमिक वर्ग के लोग छोटी मछलियों को काफी पसंद करते हैं जिसके चलते बाजार में अवैध रूप से इसकी बिक्री की जा रही है। छोटी मछलियों को 150 से 200 रुपये प्रति किलो रुपयों में बेचा जा रहा है जबकि बड़ी मछलियों की कीमत 120 से लेकर 140 रुपये किलो तक है। महंगे दामों पर बिकने के कारण लोग लालचवश छोटी मछलियों का शिकार कर काफी मुनाफा कमाते हैं। तवी नदी में माहशीर मछली के बैन होने पर इसकी बिक्री रेलवे मार्केट और त्रिकुटा नगर में की जा रही है। सूत्रों के अनुसार वर्ष 1973 के बाद से तवी में छोटी मछलियों का शिकार निरंतर जारी है। इससे पूर्व तक तवी नदी में 3 से 5 किलो तक बड़ी पाई जाती थी। यही कारण है कि अब बड़ी मछलियों को पड़ोसी राज्यों से आयात करने को मजबूर होना पड़ रहा है। नियमों के उल्लंघन जारी रहने पर स्थानीय मछुआरों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है जिनके पास मानक के अनुरूप बड़ी मछलियां पकडऩे के लिए जाल हैं। 

क्या है मानक
फिशरी विभाग के नियम के अनुसार मछुआरों (लाइसैंस होल्डर्स) को लाइसैंस जारी करते वक्त छोटी मछलियों का शिकार न करने पर सख्त हिदायत दी जाती है। इसके लिए बड़े होल वाले जाल का इस्तेमाल करने को कहा जाता है परंतु कुछ लोग जो निर्धारित मानक के बजाये मच्छरदानी (नेट) का इस्तेमाल कर छोटी और बारिक मछलियों का शिकार कर रहे हैं जोकि पूरी तरह से गैर कानून है। विभाग का दलील है कि समय-समय पर निरीक्षण कर बारीक जालों को कब्जे में लेकर जब्त किया जाता है। 

क्लोज सीजन में जमकर मारी जाती है तवी से मछलियां
फिशरी डिपार्टमैंट ने तवी नदी में मई और जून को क्लोजिंग सीजन घोषित कर रखा है क्योंकि इन दिनों मछलियों के प्रजजन का सीजन होता है। दो माह के दौरान छोटी मछलियांं पनपती है लेकिन जम्मू के अप्पर और लोअर बीट में जमकर मछलियों का शिकार किया जाता है जिससे मछलियां पनप नहीं पाती है और यही कारण है कि आज तवी नदी में बड़ी मछलियों का अकाल है। जम्मू बीट की बात करे तो जिन्द्राह से झज्जरकोटली और झज्जर कोटली से बिक्रम चौक जम्मू तक का तवी नदी के क्षेत्र को उप्परी बीट कहा जाता है। बिक्रम चौक से आर.एस.पुरा तक लोअर बीट का क्षेत्र तय किया गया है जिसमें बिश्नाह आदि तवी नदी का पार्ट शामिल है।

सौ साल पुराना है फिशरी विभाग का कानून
फिशरी विभाग का कानून 100 से भी अधिक साल पुराना है जिसे आज तक रिवाइव नहीं किया गया है। यही कारण है कि ठोस प्रावधान न होने के चलते नियमों का उल्लंघन करने वालों को सख्त सजा नहीं मिल पाती है। राजाओं के शासनकाल के दौरान फिशरी विभाग का गठन स्पोट्र्स एंड गेम्स के तहत किया गया था क्योंकि जम्मू के शासक शौकिया तौर पर मछली पकड़ते थे। लगभग वर्ष 1903 के आसपास जेएंडके फिशरी डिपार्टमैंट का गठन किया गया था। सौ साल भी विभाग के एक्ट में कोई संशोधन नहीं किया गया। अवैध रूप से मछली पकड़े जाने पर महज 50 रुपये का जुर्माना रखा गया है। अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता है विभाग 1000 रुपये कम्पाउंड जुर्माना वसूलता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग कोर्ट में केस रैफर ही नहीं करता। 

नियमों का उल्लंघन होने पर सजा का प्रावधान
7-ए : बिना लाइसैंस पकडऩे का जुर्म 
7-बी : विस्फोट के माध्यम से मछली पर पकडऩे पर जुर्म
7-सी: पानी में जहर मिलाकर मछली मारने का जुर्म
7-डी: फिक्स इंजन यानि रास्ता अवरुद्ध कर गैर कानूनी रूप से मछलियों का शिकार करना, छोटी मछलियों और संरक्षित मछलियों का शिकार करना। 
लाइसैंस धारकों की संख्या 
फिशरी विभाग ने मछली पकडऩे के लिए कुल 1700 लाइसैंस जारी किए हैं जिनमें 1000 स्थानीय लोग को लाइंसैंस जारी किए गए हैं जबकि 700 बाहरी राज्यों के लोगों को लाइसैंस दिए गए हैं। 
विभाग को राजस्व का लक्ष्य
तवी नदी से फिशिंग पर राजस्व को आय की प्राप्ति होती है। पूरे जम्मू से राजस्व का लक्ष्य सालाना 10 लाख रुपये रखा गया है जिनमें तीन लाख अवैध रूप से मछली पकडऩे तथा नियमों का उल्लघंन करने वालों से जुर्माने के रूप में रखा गया है। 
------------- 
क्या कहता है फिशरी डिपार्टमैंट 
फिशरी विभाग के सहायक निदेशक बोधराज ने कहा कि तवी नदी का क्षेत्र बहुत ही बड़ा है और किस जगह पर अवैध रूप से छोटी और संरक्षित प्रजातियां की मछली पकड़ते हैं, इसका बहुत ही कम पता लग पाता। सूचना मिलने पर ही खिलाफवर्जी टीम औचक छापेमारी करती है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि किशनपुर मनवाल, जम्मू, आर.एस.पुरा, बिश्नाह आदि में कई उन्होंने स्वयं ही छापेमारी की और टीम के साथ 50 के मरीज बारीक जाल पकडक़र जब्त किए है। सहायक निदेशक ने कहाकि  तवी नदी जम्मू की लाइफ लाइन है और इस पर किसी किस्म की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी चाहे वह विभाग के अंदर हो या बाहर का व्यक्ति हो, कानून सबके लिए बराबर है।


 

Advertising