आप खुद पर कराना चाहते हैं कोरोना वैक्सीन का ट्रायल, तो इस नंबर पर करें कॉल या SMS

Wednesday, Jul 22, 2020 - 12:26 PM (IST)

नेशनल डेस्कः एम्स दिल्ली ने देश में विकसित कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सीन' के मानव ट्रायल के लिए सोमवार को स्वयंसेवियों की भर्ती शुरू कर दी। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दी। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर Covid 19 के सामुदायिक प्रसार को लेकर कोई अधिक साक्ष्य नहीं हैं। एम्स-दिल्ली उन 12 स्थलों में शामिल है जिन्हें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने ‘कोवैक्सीन' के पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए चुना है।

एम्स के सामुदायिक औषधि केंद्र में प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि एम्स-दिल्ली ने व्यक्तियों के पंजीकरण और निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है और उन्हें टीका दिए जाने से पहले उनकी स्वास्थ्य स्थिति का आकलन किया जा रहा है। परीक्षणों के प्रधान अन्वेषक डॉ. राय ने कहा कि जो भी व्यक्ति परीक्षण में शामिल होने की इच्छा रखता है, वह ctaiims.covid19@gmail.com पर मेल कर सकता है या 7428847499 पर फोन या SMS कर सकता है।

ये लोग करवा सकते हैं ट्रायल
डॉ गुलेरिया ने कहा कि पहले चरण में 375 स्वयंसेवियों पर टीके का परीक्षण किया जाएगा जिनमें से सर्वाधिक 100 AIIMS से होंगे। दूसरे चरण में, सभी 12 स्थलों से लगभग 750 स्वयंसेवी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि पहले चरण का परीक्षण 18 से 55 साल की उम्र तक के स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा जिन्हें कोई सहरुग्णता न हो। परीक्षण के पहले चरण में ऐसी महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा जो गर्भवती न हों। गुलेरिया ने कहा कि दूसरे चरण में 750 लोगों को शामिल किया जाएगा जिनकी उम्र 12 से 65 साल के बीच होगी। उन्होंने बताया कि एम्स में परीक्षण के लिए पहले ही लगभग 1,800 लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं।

वैक्सीन में लगेगा समय
‘कोवैक्सीन' ICMR और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है। भारत के औषधि महानियंत्रक ने हाल में टीके के मानव परीक्षण की अनुमति दे दी थी। यह पूछे जाने पर कि टीका कब उपलब्ध होगा, गुलेरिया ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हर चीज सही ढंग से काम करे। उन्होंने कहा कि संभव है कि हम कहें कि टीका सुरक्षित है और फिर हमें पता चले कि यह ज्यादा प्रभाव नहीं दे रहा तो हमें कुछ और अधिक करना होगा जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं। गुलेरिया ने कहा कि इसलिए टीका उपलब्ध होने का सही समय बताना मुश्किल काम है। यदि हर चीज ठीक से काम करती है तो साल के अंत तक या अगले साल के शुरू में हम यह कहने की स्थिति में हो सकते हैं कि हम टीके का विनिर्माण शुरू कर सकते हैं। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोई भी टीका यदि विश्व के किसी भी हिस्से से आता है तो भारत इसके उत्पादन में शामिल होगा क्योंकि विश्व के 60 प्रतिशत या इससे अधिक टीकों का विनिर्माण भारत में हो रहा है।

Seema Sharma

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