अगर नियमित रूप से लगाते हैं मास्‍क तो मुस्कुराइए आपका मास्क ही अब वैक्सीन बन गया

Tuesday, Sep 15, 2020 - 05:28 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना महामारी की वैक्सीन तैयार करने के लिए कई देश जद्दोजहद कर रहे हैं। कुछ देशों ने कोरोना वैक्सीन इजाद करने का दावा भी किया है। लेकिन इस बीच एक सुकून भरी खबर आई है अगर आप नियमित रूप से मास्क लगाते हैं तो आप सुरक्षित हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह दावा चिकित्सा वैज्ञानिकों ने किया है। दरअसल, चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मास्क पहनने से कोरोना वायरस की हल्की मात्रा शरीर में पहुंचती है। इससे शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो रही है। साथ ही वायरल लोड कम होने से 80 फीसद लोग एसिम्टोमैटिक मिल रहे हैं। न्यू इग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट बताती है कि मास्क काफी हद तक वैक्सीन का काम कर रहा है। इस कांसेप्ट को वैरियोलेशन कहा जाता है। वैक्सीन आने से पहले इस तकनीक से लोगों को प्रतिरक्षित किया जा सकता है।

ये है वैरियोलेशन
1796 में इंग्लैंड के फिजिशियन डा. एडवर्ड जेनर स्मालपॉक्स के इलाज के लिए मरीजों के फोड़ों से वायरस की हल्की मात्रा निकालकर स्वस्थ लोगों को लगाया। इससे एंटीबाडी बनने से यूरोप में लाखों जान बचाई गई। जिनमें वायरस की मात्रा ज्यादा पहुंची या प्रतिरोधक क्षमता कम थी, उनमें से कई की मौत भी हुई। वैक्सीन आने के बाद इस तकनीक की जरूरत नहीं रह गई। अब कोविड के इलाज में इस तकनीक को आजमाने की बात उठी है।

मास्क से छन रहे वायरस
मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. टीवीएस आर्य ने बताया कि मास्क पहनने वालों में वायरस के पैथोजन कम पहुंचते हैं। शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने से हर्ड इम्युनिटी उभरती है। कैलिफोर्निया विवि की डा. मोनिका गांधी की रिपोर्ट बताती है कि मास्क पहनने वालों में संक्रमण हुआ भी तो वायरल लोड कम रहा। दिल्ली व महाराष्ट्र में सीरो सर्वे में साफ हुआ कि 30 से 55 फीसद लोगों में वायरस की हल्की मात्रा पहुंची और एंटीबाडी बन गई।

219 वायरस कर सकते हैं बीमार
मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डा. अमित गर्ग कहते हैं कि दुनिया में 219 प्रकार के वायरस से इंसानी बीमारियां हो सकती हैं। किसी व्यक्ति को एक वायरस से संक्रमण एक ही बार होता है। वायरस का स्ट्रेन बदला, तभी उससे दोबारा बीमारी होगी। हालांकि कोरोना में कई मरीजों में बीमारी दोबारा देखी गई है।

कोरोना वायरस की संक्रामकता अन्य के मुकाबले ज्यादा है किंतु वायरल लोड ज्यादा होने पर ही बीमारी गंभीर होगी। मास्क पहनने वालों में वायरल लोड कम रहने से कोई लक्षण नहीं उभरता। बुखार, खांसी व सांस फूलने वाले मरीजों की तुलना में लक्षणरहित मरीजों से कोरोना का रिस्क काफी कम है।

Yaspal

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