‘‘...मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई’’

punjabkesari.in Saturday, Nov 25, 2017 - 05:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मशहूर शायर मुनव्‍वर राना का कहना है कि सियासत ने उर्दू पर जितने वार किये, उतने दुनिया की किसी और जबान पर होते तो उसका वजूद खत्‍म हो गया होता। लेकिन उर्दू की अपनी ताकत है कि यह अब तक जिंदा है और मुस्‍कुराती दिखती है।

देश में ‘बढ़ती असहिष्‍णुता’ के खिलाफ दो साल पहले अपना साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाने वाले राना ने मुल्‍क के मौजूदा सूरत-ए-हाल पर रंज का इजहार करते कहा कि उनकी आखिरी ख्‍वाहिश है कि वह अपने उसी पुराने हिन्‍दुस्‍तान में आखिरी सांस लेना चाहते हैं। 

रविवार को अपना 65वां जन्‍मदिन मनाने जा रहे राना ने खास बातचीत में उर्दू जबान की हालत का जिक्र करते हुए कहा कि हमने पूरी जिंदगी में उर्दू जबान को आसमान से नीचे गिरते हुए देखा है। हमने एक शेर भी कहा कि हर एक आवाज अब उर्दू को फरियादी बताती है, यह पगली फिर भी अब तक खुद को शहजादी बताती है।

एक नजर उनकी मशहूर शायरी पर:

मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं 
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।

अभी जिंदा है मां मेरी मुझे कुछ नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई।


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