चेतावनी! आई.टी. रिफंड दिलाने वाले फर्जी मैसेज से बचें

Saturday, Aug 11, 2018 - 09:42 AM (IST)

नई दिल्ली(एजैंसी): ऑनलाइन ठगी का ग्राफ  काफी तेजी से बढ़ रहा है। आए दिन ठगी के मामले सामने आते रहते हैं। अपराधी नए-नए फॉर्मूलों से ऑनलाइन ठगी का कार्य कर रहे हैं। साइबर अपराधी खाते से सेंध लगा रहे हैं। वहीं लोग लगातार अपनी जरा-सी चूक की वजह से ठगी का शिकार होते जा रहे हैं। साइबर अपराधी ऑनलाइन, मैसेज या फिर फोन कॉल के जरिए लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी एजैंसी सी.ई.आर.टी.-इन ने लोगों को धोखा देने वाले फर्जी मैसेज से बचने की सलाह दी है। एजैंसी का कहना है कि आयकर विभाग के नाम पर लोगों को लुभाने वाले ऐसे मैसेजिस में कहा जाता है कि आपके रिफंड को मंजूरी मिल गई है लेकिन इस बहाने लोगों से मांगी गई निजी जानकारी को गलत हाथों में बेच दिया जाता है। 

आयकर भरने की समय-सीमा 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई
यह चेतावनी और एक तरह से एडवाइजरी ऐसे समय में जारी की जा रही है जब आयकर रिटर्न भरने की आपाधापी मची हुई है। हालांकि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) ने आयकर भरने की समय-सीमा 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है। हाल ही में कुछ लोगों ने रिफंड दिलाने वाले मैसेज का जिक्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया था। कप्यूटर सुरक्षा मामलों के प्रति जवाबदेह इंडियन क प्यूटर एमरजैंसी रिस्पांस टीम (सी.ई.आर.टी.-इन) ने कहा कि जैसे ही कोई व्यक्ति इस तरह के मैसेज पर क्लिक करता है वह गलत हाथों में निजी जानकारी के भेजे जाने के खतरे में पड़ जाता है। इस एडवाइजरी में बताया गया है कि इस तरह के फर्जी एस.एम.एस. की कैसे पहचान की जा सकती है। अमूमन ऐसे एस.एम.एस. बीईटीडॉटएलवाई, जीओओडॉटजीएल, ओडब्ल्यूडॉटएलवाई व टीडॉटसीओ जैसे यू.आर.एल. से भेजे जाते हैं। 

ऐसे होती है ठगी 
एजैंसी के मुताबिक एस.एम.एस. में कहा जाता है कि आयकर विभाग ने इतनी निश्चित राशि आपको रिफंड करने की मंजूरी दी है और जल्द ही आपके बैंक खाते में यह राशि पहुंच जाएगी। इसमें आपका बैंक खाता नंबर गलत लिखा रहता है। मैसेज में यह भी कहा जाता है कि आप अपना बैंक खाता नंबर जांच लें और यदि यह गलत है तो नीचे दिए गए ङ्क्षलक पर अपना बैंक रिकॉर्ड अपडेट कर लें। इसमें बीईटीडॉटएलवाई सबसे कु यात है। चूंकि मैसेज में गलत खाता नंबर रहता है। इसलिए ग्राहक फंस जाते हैं और इस पर क्लिक करते ही आयकर विभाग की ई-फाइङ्क्षलग से मिलती-जुलती एक वैबसाइट खुल जाती है। इसमें आपको अपना लॉग-इन आई.डी. तथा पासवर्ड डालने को कहा जाता है। इसके बाद ही साइबर अपराधी आपकी सभी संवेदनशील जानकारी चुराकर इसे गलत हाथों में बेच देते हैं। यहां तक कि आयकर विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज यूजर की जानकारी के साथ भी छेड़छाड़ की जा सकती है। मगर ध्यान रखें कि आपकी एक छोटी-सी लापरवाही आपके खून-पसीने की कमाई को चुटकी भर में गंवा देगी।

Anil dev

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