मैं तो हट गया, फिर भी अलग क्यों हैं मुलायम-अखिलेश: अमर सिंह

Thursday, Jul 06, 2017 - 11:42 AM (IST)

त्रेता के राम और द्वापर के कृष्ण की तरह मोदी ने भी किया बड़ा काम

नई दिल्लीः राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने पी.एम. नरेंद्र मोदी की तुलना राम और कृष्ण से की है। उन्होंने कहा कि त्रेता में जिस तरह राम ने शबरी, द्वापर में जिस तरह कृष्ण ने सुदामा को बड़ा बनाया उसी तरह प्रधानमंत्री ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर यह साबित कर दिया कि वे महान हैं। अमिताभ बच्चन, मुलायम सिंह जैसी हस्तियों के कभी अजीज रहे सिंह कहते हैं वह फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में हीरो रणबीर कपूर की तरह इकतरफा प्यार में रहे और रिश्तों के लिए समर्पित हो गए। अमर सिंह ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स के कार्यालय में न सिर्फ समाजवादी पार्टी से अपने संबंधों को लेकर बात की, बल्कि जी.एस.टी., देश के मौजूदा हालात, बदलते राजनीतिक घटनाक्रम आदि मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय दी। पेश हैं प्रमुख अंश :


कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने ‘अघोषित एमरजैंसी’ लागू कर दी है। आपका इस पर क्या कहना है?
एमरजैंसी पर बात करने का अधिकार राहुल को जाने दीजिए, कांग्रेस में किसी को नहीं है। जिन लोगों ने संदेह के आधार पर हजारों-लाखों बेगुनाह लोगों को जेल में 19 महीनों के लिए बंद कर दिया था। अगर ये अघोषित एमरजैंसी है तो बत्ती गुल होते तो कभी देखा नहीं।

मोदी सरकार के 3 साल पूरे हो गए हैं, आपके अनुसार अच्छे दिन क्या आ गए हंै या आने वाले हैं?
अच्छे दिन किसके?, उद्योगपतियों के? कॉर्पोरेटरों के? या फिर उस रियल एस्टेट के जो कालेधन से चलता था। अच्छे दिन उन बड़े घरानों के नहीं आए हैं जो सरकार के समान एक समानांतर सरकार चलाते थे। लेकिन वह सरकारी कर्मचारी, वह फौजी जो उपेक्षित रहता था, जो ईमानदार व्यापारी या लोग कालेधन का इस्तेमाल नहीं करते थे, जिसे चैक मिलता था, टी.डी.एस. के साथ, उसके लिए अच्छे दिन की शुरूआत हुई है। 

यदि मोदी विकास के लिए काम कर रहे हैं तो व्यापारी वर्ग उनसे क्यों नाराज है?
मोदी सरकार में जो भी परिवर्तन हो रहे हैं, उससे अनभिज्ञ व्यापारी ही उनसे असंतुष्ट हैं। एक व्यवस्था में जब परिवर्तन होता है, तो परिणाम आने में समय लगता है।

व्यापारी वर्ग जीएसटी का बड़े स्तर पर विरोध कर रहा है। इसको लागू करने को लेकर आपका क्या कहना है?
जी.एस.टी., गुड एंड सिंपल टैक्स है। अभी ये लोगों को समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक देश में एक टैक्स की बुनियाद रखकर बड़ा काम किया है। भले ही कुछ सैक्टर विरोध में खड़े हों, लेकिन ये वो लोग हैं जो पूर्व की सरकारों के साथ चलते थे और उनके गलियारों में बैठ देश की दिशा तय करते थे। मोदी ने इस दिशा को बदल दिया है, सभी को समानांतर में खड़ा किया है। प्रधानमंत्री ने इस टैक्स के माध्यम से राज्यों की सीमाओं को एक कर दिया है। सभी राज्यों में एक चीज की कीमत एक जैसी हो गई है। हां, जी.एस.टी. को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रचार बड़े स्तर पर करना चाहिए।

यानी जी.एस.टी. सही है, लेकिन सरकार प्रचार  नहीं कर पाई?
जी.एस.टी. के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी है, जिसका दायित्व अब अरुण जेतली और उनके समर्थकों का है। मैं भी भाजपा का नहीं हूं, लेकिन जी.एस.टी. का समर्थक हूं। सरकार जी.एस.टी. के बारे में लोगों को जागरूक करेगी और सभी को सही बातें पता चलेंगी तो विरोध बंद हो जाएगा। जिस तरह नोटबंदी से जनता को लाभ हुआ, उसी तरह जी.एस.टी. से भी फायदे होंगे।

भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है, क्या इससे मायावती के वोटबैंक पर असर पड़ेगा?
कोविंद दलित हैं, लेकिन दलितों की राजनीति उन्होंने कभी नहीं की। दलित होना और मात्र दलितों की राजनीति करना दो बातें हैं। कोविंद ने कभी दलितों के पक्ष में और न ही विपक्ष में बोला। कोविंद पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं। मैंने उनके साथ काम भी किया है।  कोविंद विधानसभा चुनाव हारे हुए वह व्यक्ति हैं, जो कभी विवादित नहीं रहे। क्या एक मध्यम परिवार व दलित समाज का व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन सकता। कोविंद की तुलना मायावती या उनके वोटबैंक से नहीं की जा सकती।

क्या राष्ट्रपति चुनाव के बाद आप भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं?
‘न दैन्यं, न पलायनम्’ (कोई दीनता नहीं चाहिए, चुनौतियों से भागना नहीं, बल्कि जूझना जरूरी है)। मैं सांसद हूं और अभी 5 साल और रहूंगा। मेरी उम्र 60 साल की हो चुकी है और 60 वर्ष की उम्र में 24 साल से सांसद हूं, लोग पूरा जीवन लगा देते हैं और इस उम्र में आकर विधायक या सांसद बनते हैं। आ पिया मोहे अंग लगा ले, जीवन सफल हो जाए..., मैं ऐसा तो नहीं कह सकता। लेकिन, अगर हमसे कहा गया कि आप कुछ काम करिए तो मैं पलायन भी नहीं करूंगा। वही बात न दैन्यं, न पलायनम्। मैंने यू.पी. के चुनाव में भाजपा का खुलकर सर्मथन किया है और प्रचार किया है, लेकिन कभी मैंने पी.एम. मोदी से मिलने का समय नहीं मांगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ संदेश देने में योगी सफल
योगी के 100 दिन और अखिलेश सरकार के 100 दिन को किस रूप में देखते हैं?
योगी 100 दिनों में ये संदेश देने में कामयाब रहे कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के लिए सरकार में जगह नहीं है। वहीं अखिलेश सरकार की बात करें तो बसपा और सपा में नोएडा में वहीं अधिकारी, शराब के वहीं व्यापारी, बालू  के वही ठेकेदार जमे रहे। सरकारें बदलती थीं, लेकिन प्रशासनिक ठेकेदार वहीं रहते थे। अखिलेश टैंडर प्रक्रिया को  खुद देखते थे। पूर्व में करोड़ों की पेमैंट हुई और सड़क बन गई, लेकिन केवल कागजों पर। मुझे लगता था कि 2जी स्पैक्ट्रम और कोल स्कैम बेकार का नारा है, लेकिन जब सच जाना तो पता चला कि पूर्व सरकार ने कितना गलत किया था।

योगी सरकार में यू.पी. से अपराध कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ा है? क्या कारण लगता है।
हो सकता है, जब अपराधी नेता हो जाएं तो उनका मन बढ़ जाता है, मैं नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन उत्तर प्रदेश का हर बड़ा अपराधी, हत्यारा कुछ समय बाद स्थानीय रॉबिनहुड बनकर कम से कम  विधायक  और इसके बाद मंत्री और सांसद तक बन जाता है। यही विधायक अपने क्षेत्र में सहानुभूति के लिए कंबल बांटता है, दवाई देता है। वहीं विरोधियों को तेजाब से नहला कर मार देगा। तो उसके लिए आर्डर, भय और आतंक क्या मायने रखता है। ऐसे सभी लोग जो 20 साल से फलफूल रहे थे, वो अब बेकार हो गए हैं।

मैं तो एकतरफा प्यार में रहा समर्पित...वो नहीं
अमिताभ से 20 साल पुरानी दोस्ती टूट गई, आखिरी बार उनसे बात कब हुई थी?

अमिताभ बच्चन बड़े आदमी हैं। मेरे जन्मदिन पर उन्होंने संदेश भेजा था, मैं झूठ नहीं बोलता। मैंने अपनी तरफ से संबंध तोड़े हैं। मैंने बात करनी बंद कर दी है। उनसे मेरी कोई नाराजगी नहीं हैं, बस कुछ बातों को लेकर मतभेद हैं।

रिश्ते टूटते और बनते रहते हैं, ऐसा क्यों हुआ कि समय के साथ अंबानी, बच्चन और फिर मुलायम से आप दूर हो गए?
इकतरफा मोहब्बत जो होती है, उसमें पीड़ा होती है। ‘ऐ दिल है मुश्किल’ फिल्म में हीरो रणबीर कपूर हीरोइन अनुष्का से प्रेम करता है, वो प्रेम नहीं करती। मैं समर्पित हो गया अमिताभ के प्रति, लेकिन वो नहीं हुए। मैं समर्पित हो गया किसी भी रिश्ते के प्रति, वहां समर्पण मुझे नहीं मिला। यह मेरी गलती है कि मैं इकतरफा मोहब्बत में पड़ा था। कार्पेेट की गलती है कि वह बिछा हुआ है और लोग उस पर चल रहे हंै, उसे रौंद रहे हैं। आप कह सकते हैं कि उनके चकाचौंध में मध्यमवर्गीय व्यक्ति आकर्षित हो गया था। सालों तक अमिताभ बच्चन और मुलायम सिंह से मेरे संबंध कैसे रहे, यह तो उनसे पूछा जाना चाहिए। मुलायम ने तो अखिलेश से साफ कह दिया था कि अमर सिंह मेरे भाई हैं, उनके बारे में कुछ नहीं बोलो। मैं स्वाभिमानी हूं, अहंकारी नहीं हूं। मैं चापलूसी करके संबंध नहीं बना सकता।

‘ना खुदा मिला ना विसाल-ए-सनम’
‘आजम खां,  रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव ने शर्त रखी है कि यह बाहरी आदमी (अमर सिंह) चला जाए।’ यह कहते हुए मुलायम सिंह ने मुझसे कहा था कि मेरे प्रति जो प्रेम है आप उसका बलिदान दे दी दीजिए, मुझे सपा अध्यक्ष की कुर्सी मिल जाएगी। मैंने उनके अनुरोध पर उस प्रेम का बलिदान दे दिया और मैं अलग हो गया। लेकिन, इसके बाद भी उनको कुर्सी तो मिली नहीं, मैं भी नहीं मिला। मुलायम सिंह का हाल ऐसा हो गया कि ‘ना खुदा मिला, ना विसाल-ए-सनम’।

समाजवादी परिवार में विभाजन की वजह आप हैं, आजम खां का यह आरोप है, क्या कहेंगे?
आजम खां को कुछ पता नहीं है। मैं अहंकारी नहीं ,स्वाभिमानी हूं। चरण छूने की राजनीति मैं नहीं करता। आप लोग कभी ये नहीं पूछते कि मैं मुलायम सिंह के साथ 20 साल कैसे रहा। हाल में ही मुलायम सिंह ने कहा था कि ‘वो मेरे दल में नहीं है, लेकिन दिल में हैं’। आजम खां के कारण मुझे दो बार समाजवादी पार्टी से निकाला गया, उन्होंने मुझे अभद्र शब्दों की उपाधि दी, मेेरे चरित्र पर सवाल उठाए, लेकिन मुलायम सिंह ने तो कुछ नहीं कहा। लेकिन, जो मैंने पहले बोला वो अब भी बोलता हूं। मैं जो भी बोलता हूं, उस पर अडिग रहता हूं, पल-पल या फिर कुछ घंटों बाद बयान नहीं बदलता। अगर मैं विभाजन की वजह था, मैं जो ‘बाहरी’ था,  बीच से हट गया हूं। फिर पिता मुलायम और पुत्र अखिलेश अलग-अलग क्यों हैं? दोनों एक क्यों नहीं होते?

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