हुरिर्यत के संयुक्त गुट ने किया 27 अक्तूबर को कश्मीर बंद का आहवान

Tuesday, Oct 24, 2017 - 07:03 PM (IST)

श्रीनगर : ऐसे समय में जहां केन्द्र ने पूर्व इंटैलीजेंस ब्यूरो चीफ दिनेशवर शर्म को कश्मीर में रूकी हुई वार्ता में नई जान फूंकने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया है वहीं हुर्रियत के संयुक्त गुट ने 27 अक्तूबर को कश्मीर बंद का आहवान किया है। ऐस प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार द्वारा वार्ता प्रक्रिया शुरू करने के निणर्य को लेकर अलगाववादी प्रभावित नहीं हुए हैं और आगे चलकर दिनेशवर शर्मा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।


रिपोर्ट हैं कि सरकार हुरिर्यत के साथ वार्ता करने के खिलाफ नहीं है और केन्द्रिय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिनेशवर शर्मा को सारे अधिकार दिये हैं कि वे वार्ता प्रक्रिया के लिए प्लान तैयार करें। राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि दिनेशवर शर्मा ही निर्णय लेंगे कि कश्मीर में शांति वार्ता के लिए वे किस किस को वार्ता में शामिल करना चाहते हैं। वहीं एक स्थानीय समाचार की रिपोर्ट के अनुसार ज्वाइंट रसिसटेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने 27 अक्तूबर को कश्मीर बंद का आहवान किया है। जेआरएल के अनुसार, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कश्मीरी लोगों को उनकी आजादी और अधिकारों से दूर रखा जा रहा है। जेआरएल में हुरिर्यत के कट्टरवादी नेता सईद अली शाह गिलानी, नरमपंथी गुट के नेता मीरवायज उमर फारूक और जेकेएलएफ के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक शामिल हैं।


रिपोर्ट के अनुसार हुरिर्यत ने मंगलवार को किसी भी तरह की शांति वार्ता से मना कर दिया और कहा कि जब तक वार्ता में पाकिस्तान को हिस्सा नहीं बनाया जाता वार्ता नहीं होगी।

 काले दिन के रूप में मनाएंगे 27 अक्तूबर
कश्मीर में संयुक्त अलगाववादी नेतृत्व ने 27 अक्टूबर को काले दिन के तौर पर मनाने का फैसला किया है। इस दिन पूरी कश्मीर घाटी बंद रहेगी। अपने एक बयान में संयुक्त अलगाववादी नेतृत्व ने कहा कि आज से 71 साल पहले 27 अक्टूबर के दिन ही भारत ने कश्मीर पर कब्जा किया था। जिसके बाद से आज तक भारतीय फौज कश्मीर में बेगुनाह लोगों का कत्ल कर रही है और कश्मीरी औरतों के साथ बलात्कार कर रही है।
अलगाववादी नेताओं ने कहा कि 27 अक्टूबर 1947 के बाद से ही कश्मीरी जनता अपनी आजादी और अधिकारों के लिए तरस रही है। अलगाववादी नेताओं ने कहा कि कश्मीर के लोग 27 अक्टूबर को काले दिन के तौर पर मनाएंगे तो इससे कश्मीर के हालात से दुनिया वाकिफ  होगी। अलगाववादियों ने कहा कि कश्मीर के लोगों को आजादी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

 

 

Advertising