Future Humans: रबड़ जैसी हड्डियां...इतने साल बाद इंसान की ऐसी होने वाली है हालात, खबर पढ़ कर खड़े हो जाएंगे रोंगटे
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 11:18 AM (IST)
नेशनल डेस्क: कल्पना कीजिए कि आपकी हड्डियां टूटने की बजाय मुड़ जाएं, दांत मजबूत चोंच की तरह हों, और आपकी त्वचा गिरगिट की तरह रंग बदल सके। यह सुनने में साइंस फिक्शन लग सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक आने वाली सदी में इंसानी शरीर में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। तेजी से बढ़ता क्लाइमेट चेंज, उन्नत टेक्नोलॉजी और इवोल्यूशन मिलकर भविष्य के इंसान को आज के लोगों से पूरी तरह अलग बना देंगे।
रबड़ जैसी हड्डियां
वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में इंसानों की हड्डियां शार्क जैसी लचीली लेकिन मजबूत कार्टिलेज की तरह विकसित होंगी। न्यूरोसाइंटिस्ट डीन बर्नेट के अनुसार, ऐसी हड्डियां चोट और फ्रैक्चर को कम कर सकती हैं। 2023 में 31,000 स्केलेटल एक्स-रे का एआई बेस्ड विश्लेषण करके उन जीन की पहचान की गई, जो हड्डियों को अधिक फ्लैक्सिबल बनाते हैं। 2025 की जेनेटिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कुछ जीन वेरिएंट कंधे की चौड़ाई और पैरों की लंबाई को बदल सकते हैं।
दांत होंगे चोंच जैसे
शेफील्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. गैरेथ फ्रेजर का कहना है कि भविष्य में इंसानी दांत पफरफिश से प्रेरित होकर मजबूत और चोंच जैसी संरचना ले सकते हैं। 2023 में प्रकाशित ‘मैमल डेंटल डाइवर्सिटी और रीजेनरेटिव डेंटिस्ट्री’ रिसर्च में बताया गया कि इंसान अब दांतों को नए तरीके से रीजेनरेट या नया शेप दे सकते हैं।
लंबे और मजबूत होंगे इंसान
पिछली सदी में दुनिया भर में इंसानों की हाइट बढ़ी है, और आगामी 100 सालों में यह ट्रेंड और तेज होने की संभावना है। जेनेटिक अध्ययन भी संकेत देते हैं कि भविष्य के लोग आज के मुकाबले लंबे और मजबूत हो सकते हैं।
सुपर कंप्यूटर जैसी दिमागी शक्ति
इंसानी दिमाग तेजी से इवॉल्व हो रहा है। 2023 की स्टडी में पता चला कि दिमाग पहले से बेहतर मेमोरी, तेज सीखने और प्रॉब्लम सॉल्विंग क्षमता के लिए वायर्ड हो रहा है। फ्यूचरिस्ट इयान पियर्सन के अनुसार, 2050 तक ब्रेन-कोम्प्यूटर इंटरफेस तकनीक के जरिए दिमाग और मशीन सीधे जुड़े होंगे। MIT और ब्राउन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में चूहों में मेमोरी ट्रांसफर और नॉन-न्यूरल सेल्स में मेमोरी स्टोर करने की संभावना दिखाई गई है।
गिरगिट जैसी त्वचा
भविष्य के इंसान की त्वचा बाहरी परिस्थितियों और भावनाओं के अनुसार रंग बदल सकती है। 2025 की एडवांस्ड मैटेरियल्स रिसर्च ने दिखाया कि स्ट्रक्चरल कलर टेक्नोलॉजी के जरिए यह बायोलॉजिकल इवोल्यूशन का हिस्सा बन सकती है। इस तरह इंसान की त्वचा क्लाइमेट रेसिस्टेंट और बेहद एडैप्टिव होगी।
