Super 30 Review: रितिक की दमदार अदाकारी में दिखा आनंद कुमार का संघर्ष

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2019 - 02:29 PM (IST)

नई दिल्ली/ चंदन जायसवाल।  अगर इरादे मजबूत हैं तो हर ख्वाब मुमकिन है। इसी वाकये को सही साबित करने की सच्ची कहानी है 'सुपर 30' (Super 30)। बिहार (Bihar) के जाने-माने गणितज्ञ (Mathematician) आनंद कुमार (Anand Kumar) की जिंदगी पर आधारित ये फिल्म दर्शकों को एक नई उम्मीद और प्रेरणा भी देती है। आनंद कुमार ने अपना खुशहाल करियर छोड़कर, अपने प्यार को कुर्बान कर के 30 ऐसे बच्चों को आईआईटी (IIT) के लिए पढ़ाया जो बिल्कुल ही साधन विहीन थे। यह फिल्म उनकी कहानी कहती है जिसे अभिनेता रितिक रोशन (Hrithik Roshan) ने स्क्रीन पर परफॉर्म किया है। रितिक ने अपने शानदार अभिनय से आनंद कुमार के किरदार में जान भर दी है। उनका अभिनय और स्क्रीन परफॉर्मेन्स काबिले तारीफ है। अपने किरदार के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है जो कि स्क्रीन पर साफ नजर आती है। 

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कहानी
फिल्म की शुरुआत में आनंद कुमार (रितिक रोशन) एक डिबेट कॉम्पटीशन जीतते हैं और उन्हें बिहार के शिक्षा मंत्री (Education Minister) श्री राम सिंह (पंकज त्रिपाठी) पुरस्कृत करते हैं। आनंद को गणित का कीड़ा है और यह बात उनके पिता (वीरेन्द्र सक्सेना) अच्छी तरह से जानते हैं। आनंद को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) में दाखिला चाहिए होता है जो कि उसे मिल भी जाता है, लेकिन आर्थिक हालात सही न होने की वजह से उसका यह सपना टूट जाता है। इस गम को आनंद के पिता बर्दाश्त नही कर पाते और दुनिया को अलविदा कह देते है। शिक्षा पर तो सबका अधिकार होता है.. कथनी पर विश्वास करने वाले आनंद जल्द ही समझ जाते हैं गरीबी एक अभिशाप है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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संघर्ष के दिनों को पार करते हुए आनंद की जिंदगी में कई मोड़ आते हैं। जहां वो गरीबी से अमीरी तक सफर भी तय करते हैं। शिक्षा के नाम पर धंधा करने वालों से भी दोस्ती होती है। लेकिन अमीरी का रंग उन्हें ज्यादा दिनों तक नहीं भाता और अहसास हो जाता है कि वह राजा के बच्चों को ही राजा बनाने की तैयारी में जुटे हैं जबकि इनके पिता कहते थे कि 'अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वही बनेगा जो हकदार होगा ' आनंद अपने पिता की बातों को याद करते हुए गरीब बच्चों के लिए आईआईटी की कोचिंग क्लासेस शुरू करते हैं। इसमें वह 30 ऐसे बच्चों को आईआईटी की तैयारी कराते हैं, जिनके पास शिक्षा पाने की लगन तो है लेकिन साधन नहीं है। यह असाधारण सफर भी आनंद कुमार के लिए आसान नहीं, लेकिन उनका मानना है कि 'आपत्ति से ही तो आविष्कार का जन्म होता है '  इसके बाद की कहानी काफी इमोशनल और मोटिवेट करने वाली है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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एक्टिंग
भारतीय सिनेमा के ग्रीक गॉड कहे जाने वाले ऋतिक रोशन आनंद कुमार के किरदार में प्रभावी रहे हैं। उनका लहज़ा कानों में थोड़ा खटक सकता है, लेकिन अपने दमदार अभिनय से रितिक ने फिल्म को एक मजबूती दी है। खासकर भावुक करने वाले दृश्यों में ऋतिक दिल जीतने में सफल रहे हैं। ऋतिक के माता पिता का किरदार निभाने वाले एक्टर कम समय में ही अपनी छाप छोड़ते नजर आए हैं। मृणाल ठाकुर के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं था। शिक्षा मंत्री बने पंकज त्रिपाठी जब जब स्क्रीन पर आए हंसी रोकना मुश्किल हुआ। सबसे बड़ी बात इस फिल्म में गरीब बच्चों की कास्टिंग कमाल की है वहीं अमित साध पत्रकार के किरदार में है जिसे वह बखूबी निभाते नजर आएं।  

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डायरेक्शन
इस फिल्म को 'क्वीन' फिल्म के डायरेक्टर विकास बहल ने डायरेक्ट किया है। वे लंबे वक्त के बाद नजर आए पर उन्होंने अपने अंदर के बेहतरीन डायरेक्टर को उभारा है। आनंद कुमार के जीवन के संघर्षों, परिवार के साथ उनके जज्बाती रिश्तों और गरीब बच्चों को रास्ते से उठाकर आईआईटियंस बनाने के जज्बे को उन्होंने अपने निर्देशन के जरिए बखूबी निभाया हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और लेखन भी अच्छा है जो फिल्म का सफल बनान में सहायक है।

म्यूजिक
माहौल के हिसाब से बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है। फिल्म के गाने और भी बेहतरीन हो सकते थे। हालांकि गानों को कहानी के साथ साथ ही लेकर चलने की कोशिश की गई है, ताकि फिल्म की लंबाई ना बढ़े। 'जगराफिया' गाना आपको पसंद आएगा।


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Chandan

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