ऑफ द रिकॉर्डः सुमित्रा महाजन को अमित शाह ने कैसे किया दरकिनार
Thursday, Nov 15, 2018 - 10:37 AM (IST)
नेशनल डेस्कः लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से इंदौर-2 विधानसभा सीट से उनके पुत्र को विधानसभा की टिकट न देने को लेकर बहुत नाराज हैं। सुमित्रा महाजन चाहती थीं कि उनके पुत्र को टिकट दिया जाए, क्योंकि उनको इस बात का यकीन नहीं कि वह फिर से इंदौर लोकसभा सीट से मनोनीत होंगी या नहीं। सुमित्रा महाजन 8 बार से लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अब वह 75 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी हैं और 2019 में लोकसभा के लिए उनको टिकट नहीं मिल सकता। इसलिए वह चाहती थीं कि उनके बेटे को टिकट दिया जाए, लेकिन शाह ने स्पष्ट कर दिया कि उनके बेटे को टिकट नहीं दिया जाएगा, क्योंकि पार्टी में ऐसी कोई नीति नहीं कि 75 वर्ष के ऊपर वाले नेताओं को टिकट न दिया जाए।
प्रधानमंत्री द्वारा यह समय सीमा तय की गई थी कि 75 वर्ष की उम्र पार करने वालों को कैबिनेट में शामिल न किया जाए, लेकिन इन नियमों में छूट दी गई और थावरचंद गहलोत 75 वर्ष की उम्र सीमा पार करने के बावजूद कैबिनेट मंत्री पद पर बने हुए हैं। व्याख्या की गई कि कैलाश विजयवर्गीय इस मामले में ‘ताई’ पर हावी हुए। सुमित्रा महाजन ‘ताई’ के नाम से मशहूर हैं। कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के महासचिव और मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने अपनी सीट को त्याग दिया और चाहते थे कि उनके बेटे को टिकट दिया जाए, जिसे पार्टी हाईकमान ने स्वीकार कर लिया। भाजपा हाईकमान इस नीति का पालन कर रही है।
'एक परिवार, एक टिकट' का नियम लागू हो। कुछ मामलों में इसकी छूट है, लेकिन अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह 'एक परिवार, एक टिकट' के सिद्धांत का पालन करेंगे। जब कैलाश विजयवर्गीय ने अपने पुत्र के लिए टिकट मांगा तो उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि वह अपनी सीट को छोड़ दें। इस पर कैलाश अपनी सीट छोड़ने को तैयार हो गए। अब ये अटकलें लगाई गई हैं कि कैलाश विजयवर्गीय को सुमित्रा महाजन के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से उतारा जाएगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं कि कैलाश विजयवर्गीय को सुमित्रा महाजन की जगह टिकट दिया जाए। वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं और उन्हें विधायक का टिकट नहीं दिया गया, इसलिए वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो गए।