आखिर कैसे की जाती है, महाकुंभ में स्नान करने वाले करोड़ो लोगों की गिनती?
punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2025 - 09:10 PM (IST)
नेशनल डेस्क : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में हर दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से अधिक लोगों के स्नान का दावा प्रशासन ने किया, लेकिन इतने विशाल आयोजन में यह गिनती कैसे होती है? क्या केवल अनुमान से काम चलता है या तकनीक की मदद ली जाती है? आइए जानते हैं, इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं की गिनती के लिए क्या नए तरीके अपनाए हैं।
AI का इस्तेमाल जबरदस्त दावा
इस बार प्रशासन ने गिनती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के अनुसार, AI-लैस कैमरे लगाए गए हैं, जो हर मिनट श्रद्धालुओं की संख्या का आंकलन करते हैं। यह पहली बार है जब श्रद्धालुओं की गिनती के लिए AI तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। कैमरे रियल टाइम में डेटा अपडेट करेंगे और श्रद्धालुओं की भीड़ के घनत्व को समझने के लिए क्राउड डेंसिटी अल्गोरिदम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, पूरे मेला क्षेत्र में अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो एकत्रित डेटा को प्रशासन के पास पहुंचाते हैं।
अन्य माध्यमों से भी हो रही गिनती
श्रद्धालुओं की गिनती केवल कैमरों तक सीमित नहीं है। उनके यात्रा के साधनों जैसे नाव, ट्रेन, बस और निजी वाहनों के माध्यम से भी गिनती की जाती है। इसके अलावा, साधु-संतों के कैंप और वहां आने-जाने वाले भक्तों की संख्या भी जोड़ी जाती है। इसके बावजूद, वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना अभी भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि बहुत से लोग अलग-अलग स्थानों पर जाते हैं और कई घाटों पर स्नान करते हैं।
सांख्यिकीय विधि से पहले की गिनती का इतिहास
कुंभ मेले में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की गिनती का इतिहास काफी पुराना है। साल 2013 से पहले, केवल प्रशासनिक रिपोर्ट्स पर ही गिनती आधारित होती थी। रिपोर्ट्स में यह देखा जाता था कि कितनी बसें और ट्रेनें आईं, और उन वाहनों से कितने लोग उतरे। साल 2013 में जब डिजिटाइजेशन की शुरुआत हुई, तो गिनती में कुछ हद तक सटीकता आई। हालांकि, फिर भी आंकड़े हमेशा अनुमानित ही रहते थे। साल 2013 में आईआईटी की मदद से सांख्यिकीय विधि का भी इस्तेमाल किया गया, जिसके आधार पर अनुमानित संख्या का विश्लेषण किया गया।
क्या है सांख्यिकीय विधि का तरीका?
सांख्यिकीय विधि के अनुसार, एक व्यक्ति को स्नान करने के लिए 0.25 मीटर की जगह चाहिए और स्नान करने में 15 मिनट का समय लगता है। इस हिसाब से, एक घंटे में एक घाट पर करीब 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं। हालांकि, घाटों पर भीड़ को देखकर यह आंकड़ा कभी सही साबित नहीं हो सका। इस बार 44 घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं, और इन घाटों पर हर दिन लाखों लोग आते हैं।