कमरा नंबर 109 से उठी चिंगारी ने खत्म कर डाली 17 जिंदगियां!

Wednesday, Feb 13, 2019 - 11:41 AM (IST)

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): प्रारभिंक जांच के मुताबिक होटल की पहली मंजिला पर कमरा नंबर 109 के एसी के प्लग में शार्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। जिसके बाद इस आग ने पूरे होटल को चपेट में ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग की जानकारी उस समय मैनेजर सहित आसपास के लोगों को लगी जब तीसरी और चौथी मंजिल में आग पूरी तरह से फैल चुकी थी और धुआं निकल रहा था। तत्काल इसकी जानकारी फायर विभाग को दी गई,जिसके बाद करीब 4 घंटे चले रेसक्यू आपेरशन के बाद होटल से 30 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया,जबकि 15 लोगों ने होटल के अंदर ही दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि अधिकांश लोगों की मौत दम घुटने के कारण हुई।



धुआं निकलने की शिकायत पर करते कार्रवाई तो बच जाती 17 की जान
 होटल में ठहरे ग्राहकों में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के 6 अधिकारी भी थे, जो विशाखापतनम से आए थे। ये लोग केंद्र सरकार की ओर से लागू योजना पेट्रोटेक पर आयोजित एक सेमिनार में हिस्सा लेने आए थे। इन छह अधिकारियों में से चार को मंगलवार तड़के वापस विशाखापतनम जाना था। इसके लिए वे लोग सुबह करीब 3 बजे ही होटल से निकल गए थे। पर निकलने के दौरान उन सभी को कुछ जलने का अहसास हुआ था। साथ ही छत पर बने किचन से धुआं भी निकलता हुआ दिखा था। 



एक घंटे बाद ही आग की लपटों में तब्दील हो गया धुआं 
चेकआउट करने के दौरान उन लोगों ने उस समय रिसेप्शन पर मौजूद मैनेजर को इसकी जानकारी भी दी। पर उसने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। एक घंटे बाद ही वह धुआं आग की लपटों में तब्दील हो गया। इन लपटों ने काफी तेजी से पहले चौथी मंजिल को अपने कब्जे में लिया और उसके बाद नीचे की मंजिलों को अपने कब्जे में ले लिया। आग बुझाने पहुंचे फायर कर्मियों ने भी बताया कि आग काफी पहले लग गई थी। जब फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई तो आग ने पूरी तरह से चौथी मंजिल को अपने कब्जे में ले लिया था। इस तरह से आग फैलने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है। गौरतलब हो कि इस हादसे में होटल में रह गए एचपीसीएल के कर्मचारी प्रणव भास्कर की मौत हो गई है। वह मूल रूप से पटना के रहने वाले थे। 




नहीं थे फायर सेफ्टी इंतजाम
 होटल में फायर सेफ्टी के इंतजाम नदारद थे। गेस्ट हाउस और होटल में एग्जिट के लिए अलग रास्ता उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन वहां ऐसा नहीं था। सारी विंडो एसी की वजह से पैक थीं या जाम हो चुकी थीं। दमकलकर्मी सीढिय़ों के सहारे कमरों की खिड़कियां तोड़कर दाखिल हुए। वहीं से लोगों को बाहर निकाला गया। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है। कारणों की जांच पुलिस को करनी है। 




होटल मालिक पर था करोड़ों का कर्ज
 होटल मालिक पर करोड़ रुपए का कर्ज था। बैंक ने उसे कुर्की का भी नोटिस भी जारी कर रखा था। जबकि होटल मालिक राकेश पटवारी पुराने कारोबारी हैं और उनके पिता जनसंघ से जुड़े थे। होटल अर्पित को एनओसी मिला हुआ था, लेकिन सवाल है कि जब होटल के पास एनओसी थी और फायर सेफ्टी के सभी उपकरण भी थे तो आखिरकार जरूरत के समय वे काम क्यों नहीं आए? क्या जो इंतजाम होटल ने किए हुए थे, वे महज दिखावा थे, जिसकी मदद से फायर सेफ्टी के नाम पर एनओसी ली जा सके? होटल में 45 कमरों के अलावा तीन अलग-अलग बार व रेस्टोरेंट हैं।

100 फायरकर्मियों चार घंटे चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
 रेस्क्यू से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है जिसमें लोग जान बचाने के लिए होटल से कूदने से कोशिश करते दिख रहे हैं। इस वीडियो में मौजूद लोग चीख-पुकार कर रहे हैं हर कोई बस आग की तपिश से अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, दमकलकर्मियों ने चार घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान हाईड्रोलिक क्रेन की मदद से 35 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। कुछ लोग होटल के अंदर अचेत हालत में मिले, जिन्हें बाद में अस्पताल पहुंचाया गया। सुबह साढ़े आठ बजे तक आग पर पूरी तरह से कंट्रोल पा लिया गया।  

लापरवाहियां.....
चश्मदीदों की मानें तो घटनास्थल पर पहुंची फायर ब्रिगेड की पहली गाड़ी की हाईड्रोलिक के्रन अचानक खराब हो गई थी। इसका एक वीडियो भी सामने आया है,जिसमें तीन-चार लोग हाईड्रोलिक के्रन को जमीन पर रखकर खोलने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वक्त ज्यादा बीत जाने की वजह से तुरंत दूसरी गाड़ी को मौके पर बुलाया गया। जबकि आंधे घंटे की मशक्कत के बाद पहली गाड़ी का हाईड्रोलिक के्रन खुल पाया। आशंका है कि फायर ब्रिगेड की गाड़ी में हुई लापरवाही की वजह से ही खुद को बचाने के लिए एक विदेशी महिला समेत दो लोगों ने चौथी मंजिल से नीचे छलांग लगा दी थी,जिस वजह से उनकी मौत हो गई।

शीशे थे बंद, सीढिय़ां थीं लकड़ी की
जांच के तहत पाया गया है कि पहली मंजिल से चिंगारी से लगी आग उतनी तेज नहीं थी,लेकिन इस चिंगारी ने एकाएक तारों में आग पकड़ ली जिसके बाद ये आग लकड़ी के जीने से सहारे होते हुए तीसरी व चौथी मंजिल तक पहुंच गई। जांच के तहत दूसरी व तीसरी मंजिल में धुआं ही धुआ लेकिन ये आग छत पर फाइबर के पास पहुंची तो आग और भी भयावह हो गई जिसके बाद यहां से बच निकलना सबके लिए मुशिकल हो गया। 

धुएं से घुटा दम, आग में खाक हो गई जिंदगी 
अर्पित होटल में लगी आग में अधिकांश मौतें जलने की जगह धुएं से दम घुटने के कारण हुई हैं। बताया जाता है कि होटल के एसी कमरों की खिड़कियां अधिकांश बंद थी जो खुल नहीं सकती थी नतीजतन आग से निकलने वाला धुआं बिल्डिंग से बाहर नहीं निकल पाया, और कमरों में भरता गया। गहरी नींद में होने की वजह से होटल में ठहरे गेस्ट धुएं और आग की चपेट में आते गए, हालांकि अस्पताल पहुंचे कई शव जली हालत में भी मिले, लेकिन इनकी प्रारभिंक रिपोर्ट के तहत इनकी मौत दम घुटने की वजह हुई,क्योंकि ये पहले बेहोश हो गए और फिर आग की चपेट में आ गए। आग लगने के दौरान तीन लोगों ने तकियों के सहारे छलांग लगा दी। जिनमें से दो की मौत हो गई। हादसे में खत्म हुए ज्यादातर लोग एक ही परिवार से बताए जा रहे हैं, जो केरल के को‘िच के रहने वाले हैं। कल ही किसी शादी में शामिल होने दिल्ली आए थे। इस हादसे ने करोल बाग ही नहीं, पहाडग़ंज और दिल्ली भर के होटलों में सुरक्षा इंतजामात पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है सजा का प्रावधान
धारा- 304 में 7 से 14 साल की सजा का प्रावधान है। जबकि 308 में 3 से 7 की साल की सजा दोनों धाराओं के तहत 7 साल तक की सजा हो सकती है। 

मारे गए 11 लोगों की पहचान
तारा चंद (43), सुरेश कुमार (42), निंदा (35), चलपति राव (52), विधा सागर (60),अरविंद (50),नलिनि (84),राबिया मेनम (50), तुन ला सेन (32), डामला मे (67), प्रणव कुमार भास्कर (32) 

6 मृतकों की नहीं हुई शिनाख्त
महिला (40), लड़का(15), महिला (50), 55 वर्षीय एक शख्स, बाकी 2 मृतकों की उम्र और पहचान का पता नहीं चला है। 

3 घायल
4 वर्षीय सौम्य श्रेष्ठ निवासी नेपाल 
28 वर्षीय चेन माया न्यान निवासी म्यांमार 
50 वर्षीय बीना निवासी कोच्चि केरला


 

Anil dev

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