ऑफ द रिकॉर्डः कश्मीर में उद्योगों को 24,000 करोड़ रुपए के नुकसान से गृह मंत्रालय सतर्क

Saturday, Sep 14, 2019 - 03:58 AM (IST)

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर से मिली रिपोर्टर्स के अनुसार यहां न केवल सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है बल्कि औद्योगिक गतिविधियां भी ठप्प हो गई हैं। इन रिपोर्टर्स के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय एक्शन मोड में आ गया है। 

हालांकि गृह मंत्रालय ने पी.एम.ओ. से सलाह-मशविरा करके पहले ही कश्मीर में पैदा होने वाले सेब की 60 प्रतिशत खरीद सीधे किसानों से करने की योजना बनाई है जिस पर 5,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे लेकिन न तो नैफेड और न ही राज्य की एजैंसियों के पास इतना बड़ा आधारभूत ढांचा है कि वे 15 दिसम्बर तक 13 लाख टन सेब की खरीद कर सकें। इतनी मात्रा में सेब की खरीद और स्टोरेज के लिए नैफेड को फंड का विशेष प्रावधान करना पड़ेगा लेकिन इस बारे में गृह मंत्रालय चुप्पी साधे हुए है क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र पहले ही गत 40 दिनों में 24,000 करोड़ रुपए का नुक्सान झेल चुका है। 

दरअसल, सरकार उन किसानों को केवल जुबानी सांत्वना दे रही है जिन्हें भारी नुक्सान झेलना पड़ा है क्योंकि राज्य में लगे प्रतिबंधों के कारण ट्रक प्रदेश से बाहर दिल्ली और अन्य स्थानों पर नहीं जा पा रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कश्मीर में औद्योगिक क्षेत्र के सामने है जहां अनुच्छेद 370 हटाने के बाद 40 दिन से बंद और हड़ताल की स्थिति है। 

घाटी में 14 इंडस्ट्रियल एस्टेट हैं, जहां 21,000 निर्माण इकाइयां स्थापित हैं। इन इकाइयों में सीमैंट प्लांट्स, फूड प्रोसैसिंग यूनिट्स, लकड़ी आधारित इकाइयां, दूध, मिनरल वाटर आदि शामिल हैं जिनमें लगभग 7 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें एक लाख नियमित स्टाफ है जबकि 6 लाख अनुबंध कर्मचारी हैं। गृह मंत्रालय द्वारा घाटी में स्थिति का जायजा लेने पर यह पाया गया कि घाटी में निर्माण इकाइयों ने 5 अगस्त के बाद सभी तरह का कार्य बंद कर दिया है। अनुमान के अनुसार घाटी में औद्योगिक क्षेत्र को प्रतिदिन 600 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। 

गृह मंत्रालय ने जम्मू एंड कश्मीर बैंक की राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी को मुख्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम के माध्यम से निर्देश दिया है कि कर्ज की वापसी का समय 3 महीने तक बढ़ा दिया जाए और उस पर ब्याज माफ कर दिया जाए।

Pardeep

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