मन्नान वानी को कश्मीर में कमांडर बनाने की तैयारी में हिज्बुल

Wednesday, Jan 10, 2018 - 05:08 PM (IST)

श्रीनगर : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (ए.एम.यू.) की पढ़ाई छोड़ आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुए कश्मीरी छात्र मन्नान वानी को जल्द ही हिज्बुल का कमांडर बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष नेतृत्व ने मन्नान को जल्द ही दक्षिण कश्मीर में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं हिज्बुल के चीफ  सैयद सलाहुद्दीन का मन्नान के पक्ष में आना इस बात की आशंका की ओर भी इशारा करता है कि मन्नान का हिज्बुल में शामिल होना किसी योजनाबद्ध घटनाक्रम का हिस्सा हो सकता है।


8 जुलाई 2016 को पुलवामा के त्राल में मारे गए बुरहान वानी के बाद बड़ी संख्या में कश्मीर के स्थानीय युवा हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुए। जम्मू कश्मीर पुलिस के कुछ जवानों के शामिल होने से लेकर आतंकी कमांडरों के जनाजों तक कई बार स्थानीय आतंकियों के हिज्बुल में शामिल होने की खबरें भी आईं, लेकिन आर्मी के ताबड़तोड़ ऑपरेशंस के कारण कमांडरों की कमी से जूझ रहे हिज्बुल ने जिस तरह मन्नान को तरजीह दी उसने इस बात की ओर इशारा किया है कि मन्नान को कश्मीर का दूसरा पोस्टर बॉय बनाने की कोई कोशिश तो जरूर हो रही है।

पढ़ा लिखा है मन्नान 
इस आशंका के पीछे का कारण मन्नान का पढ़ा लिखा होना भी है। सोशल मीडिया पर सक्रियता के साथ ही टेक्नीक से वाकिफ मन्नान की मुस्लिम युवाओं में लोकप्रियता को हिज्बुल उसी रूप में देख रहा है, जैसे उसने बुरहान को दक्षिण कश्मीर का कमांडर बनाते समय देखा था। 

पीएचडी स्कालॅर है मन्नान
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र मन्नान को अंतिम बार 2 जनवरी को विश्वविद्यालय के हॉस्टल में देखे जाने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि मन्नान ने इसके बाद ही हिज्बुल का हाथ थामा है। आशंका इस बात की भी है कि मन्नान के हिज्बुल में शामिल होने की तारीख 5-6 जनवरी हो सकती है। उत्तरी कश्मीर से आने वाले मन्नान के लिये ये तारीखें इस कारण भी अहम हैं, क्योंकि 5 जनवरी को इस साल की पहली जुमे की नमाज हुई थी। वहीं 6 जनवरी को उत्तरी कश्मीर के सोपोर में बंद का ऐलान किया गया था। 

भडक़ाकर बनाया गया है आतंकी
1993 में इसी दिन सुरक्षाबलों की एक कार्रवाई में 50 से ज्यादा कश्मीरी लोगों की मौत हुई थी और इसी घटना के विरोध में 6 जनवरी को सोपोर में बंद का ऐलान हुआ था, जिस सोपोर जिले में यह पूरी घटना हुई वह मन्नान के घर से महज 36 किमी की दूरी पर है। आशंका है कि इसी घटना के नाम पर भडक़ाकर मन्नान और कुछ स्थानीय युवाओं को हिज्बुल में शामिल कराया गया हो। साथ ही सलाहुद्दीन के मन्नान के पक्ष में आने की बात अब बड़ी संख्या में हुई इस भर्ती की आशंका को और पुष्ट कर रही है। 

यूनिवर्सिटी में बांटे थे हिज्ब कलैंडर
शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि मन्नान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रावास में हिज्बुल मुजाहिदीन के कैलेंडर बांटे थे। माना जा रहा है कि इन्हें हवाई रास्ते से यहां ला पाना संभव नहीं है क्योंकि जम्मू या श्रीनगर से अलीगढ़ पहुंचने के दौरान किसी एयरपोर्ट पर इसका पकड़ा जाना संभव था। जम्मू रेलवे स्टेशन पर तमाम सुरक्षा इंतजाम, एक्स-रे मशीन और इंटेलिजेंस के बावजूद अगर ये कैलेंडर रेल मार्ग से अलीगढ़ तक पहुंचे, तो यह एजेंसियों के लिए एक बड़ा सवाल हो सकता है। वहीं अगर सडक़ मार्ग से भी इन्हें यहां लाया गया हो, तो महत्वपूर्ण यह है कि मन्नान तक यह कैलेंडर किसके द्वारा पहुंचाए गए। 

जांच में जुटी पुलिस
इस बात की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी लगातार मन्नान की आखिरी कश्मीर यात्रा की तह तक पहुंचने में जुटे हैं। साथ ही यूपी पुलिस और एटीएस एएमयू में आने वाले उन सभी कुरियर और पार्सलों की लिस्ट भी खंगालने में जुटी है, जिन्हें पिछले कुछ महीनों में यहां पहुंचाया गया था।
 

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