हिन्दू डॉक्टर से नहीं देखा गया मुस्लिम महिला का दर्द, अंतिम वक्त में पास बैठक सुनाया कलमा

Sunday, May 23, 2021 - 09:57 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना काल में लोगों के कई तरह के चेहरे देखने को मिले। जहां कुछ लोग इस मुश्किल वक्त में अपनों का साथ छोड़कर भाग गए तो कुछ ऐसे भी लोग देखने को मिले जिन्होंने अपना बनकर बेगानों के हाथ थामा। ऐसी ही एक मरीज और डॉक्टर की कहानी सामने आई है, जिसे सुनकर आप भी कहेंगे इंसानियत आज भी जिंदा है। 

 

कोविड मरीजों की देखभाल कर रही हैं डॉ रेखा 
दरअसल केरल की डॉ रेखा कृष्णा पलक्कड के पट्टांबी में एक प्राइवेट अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल कर रही हैं। उनके वार्ड में कोविड निमोनिया पीड़ित मुस्लिम महिला 2 हफ्ते से वेंटिलेटर पर थी। 17 मई को मरीज की हालत बिगड़ने पर उन्हे वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया।  मरीज की हालत ऐसी हो चुकी थी कि डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। 

 

कलमा सुनकर शांत हुई महिला
डॉ रेखा कृष्णा ने बताया कि जैसे ही वह महिला के पास पहुंची, तो ऐसा लगा कि उन्‍हें दुनिया से विदा लेने में मुश्किल हो रही है। डॉ ने बताया कि मैं महिला के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने धीरे-धीरे उनके कानों में कलमा पढ़ा, फिर मैंने उन्‍हें कुछ गहरी सांस लेते हुए देखा और फिर वह स्थिर हो गईं। रेखा ने बताया कि उनका बचपन संयुक्त अरब अमीरात में गुजरा है इसलिए उन्हे मुस्लिम इबादत और रीतिरिवाजों की कुछ जानकारी है।

 

 डॉक्टर की हो रही तारीफ
डॉ रेखा ने कहा कि कोविड -19 रोगियों के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि वे खुद को अकेला और अलग-थलग महसूस करते हैं। ऐसे में हमें मरीजों की मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। डॉ.कृष्‍णा को लगता है कि यह कोई धार्मिक कार्य नहीं था बल्कि एक मानवीय कार्य था। हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ मुस्तफा ने रेखा की यह कहानी सोशल मीडिया पर सांझा की जिसकी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं। 
 

vasudha

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