संयुक्त राष्ट्र में बजने लगा है हिन्दी का डंका

Saturday, Aug 11, 2018 - 12:25 AM (IST)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को कामकाज की आधिकारिक भाषा का दर्जा भले ही नहीं मिला हो, पर संयुक्त राष्ट्र के रेडियो और सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर भारत की राष्ट्रभाषा ने मौजूदगी दर्ज करा दी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मॉरिशस में 18-20 अगस्त को होने वाले 11वें विश्व हिन्दी समेलन के आयोजन के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाए गए संवाददाता समेलन में यह जानकारी दी।

संयुक्त राष्ट्र ने ट्विटर और फेसबुक पर हिन्दी में एकाउंट संचालन शुरू कर दिया
स्वराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने ट्विटर और फेसबुक पर हिन्दी में एकाउंट संचालित करने शुरू कर दिए हैं और हिन्दी भाषा में प्रायोगिक आधार पर साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम समाचार साप्ताहिकी भी शुरू किया है जो प्रति शुक्रवार को प्रसारित किया जाता है और संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर प्रमुख दस्तावेजों को हिन्दी में अनूदित करके डाला है। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर मुश्किलों के बारे में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार सभी 193 देशों में से दो तिहाई देशों का हिन्दी को समर्थन आवश्यक है।

हिन्दी के लिए कम से कम 129 देशों का समर्थन जुटाना मुश्किल नहीं
योग को 177 देशों का समर्थन मिलने के बाद हिन्दी के लिए कम से कम 129 देशों का समर्थन जुटाना मुश्किल नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की शर्त है कि समर्थन करने वाले सभी देश इसके लिए वार्षिक व्यय भी वहन करें। उन्होंने कहा कि वैसे भारत ने पूरा व्यय स्वयं वहन करने की पेशकश की है लेकिन संयुक्त राष्ट्र के नियम इसकी इजाजत नहीं देते हैं। भारत की दिक्कत यह है कि छोटे छोटे गरीब देश भारत का समर्थन तो करते हैं लेकिन इसके लिए वे पैसे भी दें, यह उनके लिए संकट की बात है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से नियमों में शिथिलता लाने का आग्रह किया गया है और बातचीत जारी है।

सुषमा ने सुनाया संयुक्त राष्ट्र के ताजा बुलेटिन का एक अंश
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के ताजा बुलेटिन ‘समाचार सामयिकी’ का एक अंश सुनवाया जिसे समाचार एजेंसी यूनीवार्ता और बीबीसी में काम कर चुके जाने माने पत्रकार महबूब खान अनुबंध के आधार पर तैयार करते हैं। बाद में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र को सोशल मीडिया एवं रेडियो पर हिन्दी के प्रसारण के कारण होने वाले व्यय की राशि अदा कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि रेडियो कार्यक्रम समाचार साप्ताहिकी को बाद में दैनिक बनाया जाएगा और इसे आकाशवाणी से भी जोड़ कर देश के सभी नागरिकों को सुनने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। 

shukdev

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