हिंडनबर्ग का नया दावा: 6 स्विस बैंकों में अदाणी समूह के 2600 करोड़ रुपए जब्त

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 08:33 AM (IST)

नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह पर नए आरोप लगाए हैं। फर्म ने गुरुवार को स्विस आपराधिक अदालत के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए दावा किया कि स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी के आरोपों की जांच के तहत 6 स्विस बैंकों में जमा 31 करोड़ डॉलर (लगभग 2600 करोड़ रुपए) की रकम जब्त की है।

हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह जांच 2021 से चल रही है और यह भारतीय समूह से जुड़ी संदिग्ध विदेशी संस्थाओं के वित्तीय लेन-देन की ओर इशारा करती है। 11 सितंबर को प्रकाशित स्विस मीडिया की रिपोर्ट गोथम सिटी का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने बताया कि अदाणी के कथित फ्रंट मैन ने मॉरीशस और बरमूडा के संदिग्ध फंडों में निवेश किया था, जिनका ज्यादातर पैसा अदाणी के शेयरों में लगाया गया था।

अडानी समूह का खंडन
हालांकि, अडानी समूह ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है। समूह ने स्पष्ट किया कि उनका "स्विस अदालत में किसी भी कार्यवाही में कोई हिस्सा नहीं है, न ही हमारी कंपनी का कोई खाता जब्त किया गया है।"

अडानी समूह के प्रवक्ता ने कहा, "हम इन निराधार आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। न तो हमारी कंपनियों का स्विस अदालत में कोई उल्लेख है, न ही हमें किसी प्राधिकरण या नियामक निकाय से स्पष्टीकरण के लिए कोई अनुरोध प्राप्त हुआ है। हमारी विदेशी होल्डिंग संरचना पूरी तरह से पारदर्शी है और सभी प्रासंगिक कानूनों के अनुरूप है।"

अडानी समूह ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग के आरोप "स्पष्ट रूप से बेतुके और तर्कहीन" हैं। बयान में यह भी कहा गया कि यह हमारे समूह की "प्रतिष्ठा और बाजार मूल्य पर नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया एक घृणित प्रयास" है।

हिंडनबर्ग और स्विस मीडिया रिपोर्ट
हिंडनबर्ग ने स्विस मीडिया आउटलेट गोथम सिटी का हवाला दिया, जिसमें यह दावा किया गया था कि स्विस संघीय आपराधिक न्यायालय (FCC) के आदेश से पता चला है कि जिनेवा लोक अभियोजक का कार्यालय अडानी समूह की जांच कर रहा था, जो "हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा आरोपों से पहले ही शुरू हो चुकी थी।"

गोथम सिटी की रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि अरबपति गौतम अडानी के कथित मुखिया की 310 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि छह स्विस बैंकों में जमा थी। इस जानकारी के खुलासे के बाद स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय (OAG) ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।


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Content Writer

Anu Malhotra

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