ना दिल अपनी जगह पर और लीवर, फेफड़े भी इधर-उधर..पेट में दर्द हुआ तो खुला 45 साल बाद राज
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 05:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में दो मरीजों के शरीर की दुर्लभ स्थिति सामने आई है, जिसने डॉक्टरों और मेडिकल साइंस दोनों को चौंका दिया है। इन मरीजों के आंतरिक अंग न तो अपने सामान्य स्थान पर थे और न ही सामान्य आकार में। डॉक्टरों ने इस अनूठी जन्मजात विकृति का नाम हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम रखा है।
डॉक्टरों के अनुसार, हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम एक ऐसी जन्मजात स्थिति है जिसमें दिल, लिवर, फेफड़े, तिल्ली और पित्ताशय जैसे आंतरिक अंग अपनी सामान्य जगह से विचलित होकर शरीर के अन्य हिस्सों में स्थित होते हैं। यह स्थिति तब सामने आई जब 45 वर्षीय एक पुरुष और महिला मरीज पेट दर्द और अपच की शिकायत लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
अल्ट्रासाउंड में खुला शरीर का रहस्य
वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रचना चौरसिया ने बताया कि अल्ट्रासाउंड जांच में दिल सामान्य से हटकर सीने के बीच में मिला, जबकि आमतौर पर यह बाईं तरफ होता है। दिल के चारों कक्ष एक जैसे और असामान्य आकार के थे। लिवर दोनों तरफ फैला हुआ था, पित्ताशय बीच में था, जबकि तिल्ली के स्थान पर दाईं तरफ कई छोटी संरचनाएं देखी गईं।
सीटी स्कैन से हुआ बड़ा खुलासा
सीटी स्कैन रिपोर्ट में आंतों का सामान्य दिशा से भटकना, एपेंडिक्स का मध्य रेखा में मिलना और फेफड़ों में भी असामान्यताएं पाई गईं। इन सभी निष्कर्षों के बाद डॉक्टरों ने हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम होने की पुष्टि की। डॉ. रचना के अनुसार, यह विकृति बेहद दुर्लभ है और लगभग 25,000 में से एक मरीज को ही यह स्थिति होती है। अधिकतर मामलों में यह बचपन में हृदय रोग के लक्षणों के साथ प्रकट होती है, लेकिन इस बार के मरीजों की उम्र यह साबित करती है कि यह दशकों तक बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी शरीर में रह सकती है।
सावधानियां और समय पर जांच जरूरी
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम से ग्रसित मरीजों को बार-बार फेफड़ों में संक्रमण, पाचन तंत्र की समस्याएं और हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। इसलिए समय-समय पर जांच और सही निदान बेहद आवश्यक है।
बचपन में पहचान से बचाई जा सकती हैं जटिलताएं
डॉ. रचना ने कहा कि यदि यह स्थिति बचपन में जल्द पहचान ली जाए तो उपचार संभव है और भविष्य में गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन इस विकृति की पहचान के लिए आधुनिक और प्रभावी तरीके बन चुके हैं। अगर किसी व्यक्ति को लगातार अपच, पेट दर्द या फेफड़ों की समस्या हो रही हो, तो आंतरिक अंगों की जांच जरूर करवाई जानी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि शरीर में कोई अदृश्य जन्मजात विकृति छिपी हो।