भारत में हर 100 में से एक हैपेटाइटिस सी की गिरफ्त में, इन चीजों को करने से बचें

Thursday, Nov 10, 2016 - 09:00 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच.ओ.) की रिपोर्ट की मानें तो भारत में प्रत्येक 100 में से एक व्यक्ति रक्त संक्रमण से होने वाली बीमारी हैपेटाइटिस सी वायरस (एच.सी.वी) की जद में है। यह कहना है पी.जी.आई. के डिपार्टमैंट ऑफ हैपटोलॉजी विभाग के प्रोफैसर डा. वीरेंद्र सिंह का। डा. सिंह के मुताबिक स्वास्थ की दृष्टि से यह बीमारी देश भर में एक चुनौती बनकर सामने आ रही है। पंजाब में इसके केस में काफी वृद्धि देखने को मिली है। 

 

देश में औसतन 1 फीसदी लोगों के इससे प्रभावित होने की आशंका है जबकि पंजाब के लिए यह आंकड़ा थोड़ा ज्यादा है। समाज में कई ऐसे वर्ग हैं जिनमें इस बीमारी के होने की आशंका ज्यादा है। नशाखोर, थेरेपी के कारण कई इंजैक्शन लेने वाले, इंसुलिन वैक्सीन की सुई साझा करने वाले, टैटू या पियरसिंग करवाने वाले, असुरक्षित ब्लेड यूज करने वाले, असुरक्षित यौन संबंध बनाने वाले और जिस व्यक्ति में बिना जांच के खून चढ़ाया गया हो या सर्जरी करते वक्त सुरक्षित तरीका न अपनाया हो उसमें नहीं की गई हो, उनमें हैपेटाइटिस सी ज्यादा देखने को मिल रहा है। 

 

हर वर्ष दुनिया में मरते हैं 5,00,000 :
डाक्टर डा. वीरेंद्र सिंह के मुताबिक हैपेटाइटिस ए और बी की तरह अभी तक हैपेटाइटिस सी की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है। इस कारण यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। इस बीमारी में लीवर कैंसर का भी खतरा ज्यादा रहता है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल दुनिया भर में करीब 5,00,000 लोग हैपेटाइटिस सी संबंधित बीमारी के कारण मारे जाते हैं। 

 

नई दवाएं कारगार :
नई दवाओं की उपलब्धता के साथ ही इस बीमारी का इलाज भी संभव हो गया है। डा. सिंह के मुताबिक नई दवाइयों की उपलब्धता से इस बीमारी के इलाज की दर 90 से 95 प्रतिशत तक हो गई है। नई दवाइओं की प्रभाविता एडवांस मामलों में भी 75 फीसदी तक सुनिश्चित करती है। यह दवाइयां न सिर्फ सस्ती हैं बल्कि शरीर पर उनके दुष्प्रभाव भी कम हैं। पंजाब सरकार इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए इसकी दवाइयां निशुल्क उपलब्ध करवा रही है। 
 

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