विरोध के बाद भी अपने फर्ज से नहीं हटी पुलिस, 31 मिनट में गुडग़ांव से दिल्ली पहुंचाया 'दिल'

Wednesday, Nov 06, 2019 - 11:51 AM (IST)

गुडग़ांव(संजय): ब्रेन डेड व्यक्ति का दिल निकालकर उसे एक अन्य बीमार व्यक्ति को लगाने के लिए गुरुग्राम सेक्टर 44 स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई) से दिल्ली के वसंतकुंज फोर्टिस तक 31 मिनट में पहुंचाया गया। यातायात पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरीडोर बनाकर दिल का सफलतापूर्वक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाया गया। जहां एक तरफ तीस हज़ारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दिल्ली पुलिस के कर्मचारी अपना विरोध जाहिर कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर ट्रैफ़िक पुलिस अपना फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटी।  

 

जानकारी के अनुसार गुरुग्राम फोर्टिस में ब्रेन डेड के शिकार एक 59 वर्षीय व्यक्ति का हृदय चिकित्सकों ने उसके शरीर से निकाला। इसके बाद बिना समय बर्बाद किए पूरे ऐतिहात और चिकित्सकीय निगरानी में हृदय को 8.22 बजे दिल्ली के लिए भेजा गया। पहाड़ी वाला रोड से द्रोणाचार्य मेट्रो स्टेशन और वहां से यू टर्न लेकर मोदी मिल दिल्ली फ्लाईओवर ओखला मंडी होते हुए वसंतकुंज, फोर्टिस तक पहुंचाया गया। जो एंबुलेंस दिल लेकर निकली उसके साथ एक अन्य एंबुलेंस भी चल रही थी, जिसे इमरजेंसी के लिए साथ रखा गया था। इसके साथ दो अन्य गाडिय़ां भी थीं जो एस्कॉर्ट करने के लिए चल रही थीं। फोर्टिस वसंतकुंज में एक बीमार व्यक्ति जिसका दिल पूरी तरह से खराब हो चुका है उसके शरीर में दान मिले स्वस्थ्य दिल को लगाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया जो मंगलवार की देर रात तक चलता रहा। दिल दान करने वाला व्यक्ति दिल्ली का ही रहने वाला था। 

 

ब्रेन डेड मरीज दान दे सकता है दिल
वल्र्ड कॉर्डियोलॉजी सोसायटी के सदस्य व वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तपन घोष के मुताबिक लीवर, पैंन्क्रियास, किडनी के अपेक्षा हार्ट डोनेशन कम होता है। मौजूदा समय में ब्रेन डेड के महज 1 प्रतिशत मरीजों का ही अंगदान हो पाता है। उन्होंने बताया कि 2020 तक हार्ट फेलियर के मामलों में इजाफा होने की संभावना है लिहाजा मौजूदा समय से अधिक हार्ट डोनेशन की जरूरत महसूस की जाएगी। इसके लिए नॉटो (एनएटीटीओ) देश भर में कार्य करती है। फोर्टिस की जोनल डॉयरेक्टर डॉ. ऋतु गर्ग ने बताया कि हमारे विशेषज्ञों ने अपने अनुभव व प्रतिभा के दम पर दिल को गुडग़ांव से दिल्ली भेजने में सफलता हासिल की। ये जीवन बचाने को लेकर काफी महत्वपूर्ण कदम रहा। 
 

vasudha

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