जज्बे को सलाम: 97 साल की उम्र में M.A. करने निकले राजेंद्र कुमार

punjabkesari.in Thursday, Apr 28, 2016 - 08:03 PM (IST)

पटना: पढऩे की कोई उम्र सीमा नहीं होती और न ही पढ़ाई की ललक किसी साधन की मोहताज होती है, अगर विश्वास न हो तो 97 साल के राजकुमार वैश्य से मिलिए। जी हां हम बात कर रहे हैं 97 साल के बुजुर्ग राजकुमार वैश्य की। मूलत: बरेली के रहने वाले वैश्य नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अर्थशास्त्र की परीक्षा में बैठे थे। 
 
इस समय वैश्य अपने परिजनों के साथ पटना के राजेंद्र नगर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों जब उन्होंने उम्र के 97 वें पड़ाव पर एमए की पढ़ाई करने में रुचि दिखाई तो उनके बेटे ने नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी से संपर्क किया था। इजाजत मिलने पर वह परीक्षा में शामिल हुए हैं। वैश्य ने वर्ष 1938 में स्नातक (बीए) की परीक्षा पास की थी और फिर नौकरी करने लगे। करीब 39 साल पहले वह नौकरी से रिटायर हुए। इस वक्त उनकी उम्र 97 साल है, लेकिन उच्च शिक्षा पाने की लगन के चलते उन्होंने अब एमए की परीक्षा दी है।
 
वृद्धावस्था के चलते वॉकर के सहारे चलने वाले वैश्य कहते हैं, एमए की पढ़ाई करने की ख्वाहिश 77 साल से उनके सीने में दबी थी। सेवानिवृत्त हुए भी 38 साल हो गए। जिम्मेदारियों को पूरा करने में समय ही नहीं मिला। अब जाकर उनका सपना पूरा हुआ।

वैश्य का जन्म एक अप्रैल, 1920 को हुआ था। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा बरेली के एक स्कूल से 1934 में पास की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की और यहीं से कानून की भी पढ़ाई की। इसके बाद झारखंड के कोडरमा में नौकरी लग गई। इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी शादी हो गई।
 
वैश्य ने बताया, सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 1977 के बाद फिर बरेली चला गया। इस बीच पत्नी का स्वर्गवास हो गया। घरेलू कामकाज में व्यस्त रहा, लेकिन एमए की पढ़ाई करने की इच्छा समाप्त नहीं हुई।

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