नवाज शरीफ, एक और सदमे के लिए तैयार रहें !

Wednesday, Jul 13, 2016 - 01:25 PM (IST)

प्रधानमत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ओर गर्मजोशी के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था तब उम्मीद की जा रही थी कि दोनों देश आपसी सद्भाव की एक नई इबारत लिखेंगे और शांति को स्थापित करने में पाकिस्तान भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगा। अफसोस की बात है कि बहुत जल्द ही भारत का यह भम्र टूट गया। अपने यहां आतंकी गुटों को शरण देने, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को भाग जाने की छूट देने, पठानकोट हमले की जांच में असहयोगी रवैया अपनाने और बार-बार कश्मीर का मुद्दा छेड़ कर उसने साबित कर दिया कि भारत के साथ उसका दोस्ती का दम भरना सिर्फ दिखावा मात्र है।

कश्मीर में हिज्बुल मुहाजिद्दीन के कमांडर के बुरहान वानी के मारे जाने पर पाकिस्तान के नवाज शरीफ ने जो बयान दिया उससे दुनिया जान गई कि यह देश कभी सुधरने वाला नहीं है। इस बयान ने जाहिर कर दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने से कभी पीछे नहीं हटेगा। जब बुरहान आतंक फैलाता रहा, निर्दोष लोगों की जान लेता रहा और भारतीय सेना के जवान शहीद होते रहे तब पाकिस्तान ने एक बार भी दुख नहीं जताया। जब बुरहान सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया तो उसे यह एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग लगती है।

गौरतलब है कि अमेरिका जब पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाता है तो वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने कर संकल्प लेकर खानापूर्ति कर देता है। उसका असली चेहरा खास मौकों पर ही सामने आता हे। अब हिजबुल के मुखिया सलाउद्दीन के साथ मिलकर उसने बुरहान को शहीद बता दिया है, इससे एक बार फिर दुनिया जान गई है कि वह अपनी जमीन को आतंकी गतिविधियों के लिए बेरोकटोक इस्तेमाल होने दे रहा है। पाकिस्तान आतंकियों को शह देना बंद करे और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करे, इसके लिए भारत उसे आगाह कर रहा है, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा।

कश्मीर में जनमत संग्रह की रट लगाए हुए पाकिस्तान यह नजर अंदाज क्यों कर रहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर के ब्लूचिस्तान के लोग उसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वह स्थानीय लोगों पर अत्याचार करके बाहरी लोगों को वहां बसा रहा हे। मूल निवासियों को वहां से खदेड़ा जा रहा है। पाकिस्तान की ताजा हरकत कम निंदनीय नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के पास वह कश्मीर का मसला किस अधिकार के साथ लेकर गया है। जम्मू कश्मीर का आतंकवाद से प्रभावित होना, वहां अलगाववादियों का सक्रिय होना, वहां की युवा पीढ़ी का भटक जाना आदि समस्याओं का कैसे हल निकालना है यह भारत सरकार को देखना है। बेवजह कश्मीर में तनावपूर्ण स्थिति और मानवाधिकारों की वकालत करने की पाकिस्तान को क्या जरुरत हे ?

पाकिस्तान के हद से बाहर जाने का एक नमूना और देखें। उसके विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने भारत के दावे को कैसे खारिज कर दिया कि कश्मीर संबंधी मुद्दा उसका अंदरूनी मामला है। इस पड़ोसी देश को यह अधिकार किसने दे दिया कि कश्मीर हो या हैदराबाद यदि वहां कुछ समय के लिए हालात बिगड़ भी जाते हैं तो उसे इसकी चिंता क्यों होने लगती है ? इससे जाहिर हो जाता है कि खुफिया एजेंसी आईएसआई पाकिस्तान की विदेशी नीति को गुपचुप तरीके से निर्देशित करती है। भारत से जम्मू कश्मीर को अलग करने के लिए उसने राज्य में कई जिहादी समूहों का निर्माण किया है और उनका समर्थन भी करती है। लेकिन भारत की सख्ती के कारण उसे अपने इरादों में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिष्द के जिन पांच स्थायी सदस्यों के पास कश्मीर का मसला लेकर गया है वे उसका समर्थन नहीं करने वाले। इन्हीं में से एक स्थायी सदस्य अमरीका हाल में उसे नसीहत दे चुका है कि कश्मीर भारत का आतंरिक मामला है, सभी पक्षों को इसका शांतिपूर्वक समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तान इसमें जबरदस्ती पक्ष बनना चाह रहा है।

कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने से पाकिस्तान को कामयाबी नहीं मिलने वाली, बल्कि उसे मुंह की ही खानी पड़ेगी और वह अलग-थलग पड़ जाएगा। नवाज शरीफ को बुरहानी के मारे जाने पर जो सदमा पहुंचा है वह सिर्फ दिखावा है। उनका अपना देश आतंकवाद की बुरी तरह चपेट में है, शरीफ को सत्ता से बेदखल करने की जो आशंकाएं जताई जा रहे हैं वे उसकी चिंता करें।    

पाकिस्तान इसकी भी चिंता करे कि अमरीकी सांसदों और विशेषज्ञों ने उसे  दी जाने वाली मदद में कटौती करने और इसे आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश के तौर पर सूचीबद्ध करने की अपील की है। इन माननीयों ने उसे आतंकवादी तत्वों को समर्थन देने और चीजों को जोड़ तोड़ कर पेश करने वाला देश कहा है। पाकिस्तान अब अमरीका को मूर्ख बनाकर उससे अरबों डॉलर नहीं ऐंठ पाएगा। नवाज शरीफ को सदमा अमरीका के कड़े रवैये का लगना चाहिए।

 
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