यह है कश्मीर की लजीज डिश, कड़ाके की सर्दी में गर्मी और सेहतमंदी का राज

Monday, Jan 07, 2019 - 02:14 PM (IST)

श्रीनगर: वादिये जन्नत में जहां एक तरफ कड़़ाके की ठंड पड़ रही है वहीं पांरपरिक भोजन का स्वाद अपने पूरे चर्म पर है। जी हां। कश्मीर में दिसंबर अंत से जनवरी के अंत तक का महीना भयंकर सर्दी का होता है। इसे चिल्लई कलां कहते हैं। इस दौरान पडऩे वाली ठंड हाड कंपाने वाली होती है। ऐसे में खुद को गर्म रखने के लिए कश्मीरी एक मजेदार और बेहद हैल्दी डिश खाते हैं, जिसे हरीसा कहा जाता है।

हरीसा कश्मीर का पारंपरिक भोजन है। यह सुबह-सुबह खाया जाता है और बेहद गर्म होता है। प्रोटीन से भरपूर हरीसा जहां कश्मीरी लोगों को ठंड से लडऩे की ताकत देता है वहीं सेहतमंद भी रखता है। सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटक भी इसे स्वाद ले-लेकर खाते हैं और उन जगहों की तलाश में होते हैं यहां पर यह फेमस होता है।


क्या है हरीसा
हरीसा मीट की एक डिश है। यह बकरे अथवा भेड़ के मांस से बनाया जाता है। इसे बनाने की एक विशेष विधि होती है और इसमें अच्छा खासा समय लगता है। इसकी तैयारी एक दिन पहले ही की जाती है। इसे सुबह-सुबह खाने के पीछे का तर्क यह है कि यह खाने के बाद भूख कम लगती है और पूरा दिन आराम से निकल जाता है। इसे कश्मीरी रोटी (कांदूर रोटी) के साथ खाया जाता है।


बनाने की विधि
हरीसा के लिए बकरे की रान का मांस लिया जाता है जो हड्डी के बिना होता है। मीट को लहसुन की कलियों के साथ गर्म में कुछ देर तक उबाल कर पानी फेंक दिया जाता है। फिर प्रेशर कुकर में साफ पानी, मांस, मोटी इलायची, दालचीनी, लौंग, नमक डालकर इसे पकाया जाता है। मांस को पूरी तरह से गलाया जाता है ताकि वो कीमे की तरह नरम हो जाए। उसे कडछी के साथ मसला जाता है। बाद में इसमें घी और बारीक कटे प्याज का छोंक दिया जाता है और गर्म गर्म हरीसा कश्मीरी रोटी के साथ खाया जाता है। यह हाई प्रोटीन डिश है। इसे बनाने की हर किसी की विधि अलग-अलग है।

Monika Jamwal

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