रोज जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं आदिवासी गांव के बच्चे

Thursday, Jul 11, 2019 - 06:28 PM (IST)

वडोदरा: हर सुबह स्कूल जाना गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के एक छोटे से गांव के बच्चों के लिए मुश्किल काम बन गया है क्योंकि उनके पास नदी पार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है, जहां मूसलाधार बारिश के बाद बाढ़ आ गई है। इन बच्चों में ज्यादातर 5 से 10 साल की उम्र के आदिवासी हैं, जिन्हें बोकाडिय़ा गांव से गुजरने वाली तेजी से बहती ओरसांग नदी के पानी से गुजरना पड़ता है, जहां उनके सरकारी स्कूल की ओर जाने वाली सड़क जलमग्न हो गई है। गांव के सरपंच (प्रधान) नरसिंग राठवा ने बताया कि बच्चों को नदी को पार कर दूसरी तरफ लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय पहुंचने में लगभग 20 मिनट का वक्त लगता है। 

गांव की है लगभग 800 की आबादी
उन्होंने कहा, ज्यादातर बार, ये बच्चे पानी में गिरने से बचने के लिए मानव श्रृंखला बनाकर नदी को पार करते हैं। उनमें से काफी छोटे बच्चे अपने माता-पिता के कंधों पर बैठकर स्कूल तक पहुंचते हैं। राठवा ने कहा कि जिला अधिकारियों और राज्य सरकार ने पहले गांव में नदी पर एक पुल बनाने का वादा किया था, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। गांव में लगभग 800 की आबादी है। प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य भावेश मकवाना ने कहा कि हर दिन पानी से गुजरकर स्कूल पहुंचना बच्चों के लिये काफी मुश्किल हो रहा है। 

नदी पार करते होता है गिरने का डर
स्कूल में पांचवीं कक्षा के एक छात्र घनश्याम राठवा ने कहा कि नदी पार करते समय उसे गिरने का डर रहता है। सरपंच ने कहा, विद्यालय पहुंचने के लिए नदी पार करना बच्चों के लिए बहुत मुश्किल काम हो गया है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नारणसिंह राठवा ने कहा कि उन्होंने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार से अपील की है कि वे ओरसांग नदी पर एक पुल का शीघ्र निर्माण करें, ताकि बच्चे अपनी सुरक्षा की चिंता किए बिना विद्यालय पहुंच सकें। वह छोटा उदयपुर के निवासी हैं। 

Anil dev

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