गुजरात: पिछड़े वर्ग के आरक्षण की रक्षा के लिए विधानसभा में पारित होगा कानून

Monday, Feb 12, 2018 - 08:55 PM (IST)

गांधीनगर: गुजरात विधानसभा के इसी माह शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान राज्य की भाजपा सरकार आदिवासी, दलित और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाला कानून बनाएगी।

वन एवं आदिजाति मंत्री गणपतसिंह वसावा ने राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ईश्वर की मौजूदगी में  सूरत सर्किट हाउस में पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि आदिवासी, दलित और अन्य पिछड़ी जातियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्रों द्वारा सरकारी नौकरी, शैक्षणिक लाभ, चुनाव के लिए आरक्षण को लेकर दिए जाने वाले जाली प्रमाण पत्रों के आधार पर लाभ लेने वाले या मदद करने वालों को तीन वर्ष तक के कारावास और पचास हजार रुपए तक के दंड की व्यवस्था इस कानून में की जाएगी।

उन्होंने कहा कि हाल ही में फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में तथा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ हासिल किए जाने की खबरों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। संवैधानिक आरक्षण के अंतर्गत आने वाले वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर जिसने नौकरी हासिल कर ली होगी, उसे बर्खास्त किया जाएगा।

इसके साथ ही नौकरी के दौरान प्राप्त अनुदान, भत्ते या अन्य वित्तीय लाभ लिए होंगे तो उसकी भी वसूली की जाएगी। ऐसे प्रमाण पत्रों के आधार पर अगर शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश लिया होगा तो प्रमाण पत्र रद्द करके उसके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही अगर इस प्रकार से किसी ने डिग्री हासिल की होगी तो वह भी रद्द की जाएगी और उसके खिलाफ कदम उठाए जाएंगे। इस प्रकार के फर्जी प्रमाण पत्रों से हासिल लाभ जैसे कि छात्रवृत्ति या अन्य कोई लाभ लिया होगा, तो उसकी भी वसूली की जाएगी।

संवैधानिक रूप से आरक्षित सीट पर चुनाव लड़कर अगर कोई विजेता हुआ होगा तो उस सदस्य को अमान्य घोषित किया जाएगा और उसके द्वारा लिए गए लाभों की वसूली भी की जाएगी। वसावा ने कहा कि संवैधानिक रूप से आरक्षण वाले स्थान पर शिक्षा, सरकारी नौकरी अथवा चुनाव में आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए जाति प्रमाण पत्रों की जांच समिति के माध्यम से करवाई जाएगी। 

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